सत्यखबर, जींद,अशोक छाबड़ा
शराब तस्करी में दागदार हो रहे हरियाणा पुलिस के दामन को बचाने के लिए विभाग ने किंगपिन भूपेंद्र के रहनुमा जसबीर को बर्खास्त कर दिया है। साथ ही दामन पर लगे दाग छुड़ाने के लिए उसके खिलाफ विभागीय जांचों का पिटारा भी खोल दिया है। जसबीर के खिलाफ पुलिस ने केस चार्जशीट फाइल करने से पहले ही मजबूत कर दिया है,ताकि कोर्ट में जाने के बाद पुलिस को मुंह की न खानी पड़े। जसबीर 3 अप्रैल से फरार है और हरियाणा पुलिस उसे तलाश कर रही है। यही नहीं, फरारी के दौरान उसने जांच में शामिल पुलिसकर्मियों को धमकाया और रिकार्ड नष्ट करने की हिदायतें दीं। फिलहाल जसबीर अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। पुलिस को शक है कि जसबीर पुलिसकर्मी होने का फायदा उठाकर कहीं दूसरे राज्य में न भाग गया हो। हालांकि कोरोना के चलते उसका कहीं छिप पाना आसान नहीं है।
भूपेंद्र ने पूछताछ में कई रसूखदारों के नाम लिए
उधर,भूपेंद्र ने पुलिस पूछताछ में कई रसूखदारों के नाम लिए हैं। इसमें कई नेता और पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं। भूपेंद्र ने चारों तरफ गोटियां सेट की हुई थीं। सूत्रों के मुताबिक उसने अभी तक चार थानेदारों के नाम लिए हैं। जिसमें से दो नाम सामने आ चुके हैं। बाकी नाम कब तक सामने आएंगे यह कहना मुश्किल है। फिलहाल पुलिस यह पता लगाने में जुटी है। कि भूपेंद्र हरियाणा सचिवालय में किसके पास आता-जाता था।
सचिवालय की एंट्री पर रखी जा रही नजर
हरियाणा सचिवालय में भूपेंद्र किसके पास जाता था,यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। गृह मंत्री अनिल विज ने बहुत जोर देकर यह कहा था कि भूपेंद्र का हरियाणा सचिवालय में भी आना जाना था। लेकिन सचाई यह निकल कर आई है कि वह पिछले कई साल से सचिवालय में बेरोक टोक आता जाता था।
पुलिस कर्मियों के नंबर भी हो रहे ट्रेस
भूपेंद्र की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में लगे थानेदारों के रिकार्ड तो खंगाल ही लिया है। साथ ही इनके नजदीकियों का रिकार्ड भी तलाश जा रहे हैं। धमकी दिए जाने की बात सामने आने पर यह जानने की कोशिश चल रही है कि जसबीर के ज्यादा संपर्क में कौन रहता था।
बर्खास्तगी के पीछे पुलिस के तर्क
1. सेानीपत के खरखौदा थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 197 के मुताबिक जसबीर सिंह सहित छह अन्य पुलिसकर्मियों पर भूपेंद्र के साथ मिलीभगत कर शराब तस्करी के आरोप हैं।
2. आरेापी भूपेंद्र को शराब की तस्करी में सहयोग करता था और उसकी मिलीभगत से ही यह तस्करी परवान चढ़ रही थी।
3. इस मामले में इंस्पेक्टर जसबीर सिंह के खिलाफ पहले से ही पुलिस जांच चल रही है। इसके अलावा एक विभागीय जांच पुलिस अधीक्षक सोनीपत की ओर से भी मार्क की जा चुकी है। आरोपी है कि इंस्पेक्टर जसबीर सिंह के कारण पुलिस की छवि आम जनता की नजरों में खराब हुई है।
4.जांच के दौरान आरेापी भूपेंद्र ने यह स्वीकार किया है कि इंस्पेक्टर जसबीर उसकी शराब तस्करी में मदद करता था। उन्होंने पुलिस कस्टडी में रखी शराब को मिल कर ही तस्करी में प्रयोग में लाया है।
5.इंस्पेक्टर जसबीर सिंह पिछले कई दिनों से अपनी हाजिरी नहीं दे रहा है। उसकी अनुपस्थिति को पुलिस की डेली डायरी में भी मार्क किया जा रहा है।
6.जसबीर के खिलाफ एक और विभागीय जांच खोली गई है। जिसमें उस पर अनैतिक कार्यों में लिप्त पाए जाने के संगीन आरेाप हैं। साथ ही आरोप लगाया गया है कि कई दिनों तक उसने अवैध शराब का ट्रक पकड़े रखा और बाद में उसे छोड़ दिया। इस मामले की न एफआईआर लिखी, न किसी डेली डायरी में दर्ज किया और न ही किसी वरिष्ठ अधिकारी को सूचित किया।
7. यह भी आरोप है कि उसने हेड कांस्टेबल सोमबीर और प्रदीप को धमकाया।
8.उसने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए हेड कांस्टेबल नरेश को निर्देश दिए कि वह अपने मोबाइल में से रिकार्ड मिटा दे। इस फोन के माध्यम से पुलिस को पुलिस और शराब माफिया के गठजोड़ का पता चला है।
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