सत्यखबर,जींद
हरियाणा में अब तक पांच जिले शराब घोटाले की चपेट में आ चुके हैं,जबकि परमिट एक दर्जन से ज्यादा जिलों में जारी हुए। स्वभाविक है कि यहां भी शराब घोटाले को अंजाम दिया गया। शराब घोटाले का यह मुद्दा लगातार सरकार के गले की फांस बन रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत सरकार को अपने सहयोगी दल की वजह से हो रही है, जिसके पास आबकारी एवं कराधान विभाग है। सत्तारूढ़ दल के कुछ नेताओं को लॉकडाउन के दौरान ठेके खुलवाकर शराब बिकवाने की बेहद जल्दबाजी थी। केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया तो शराब के अवैध धंधे को अंजाम दिया गया। लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले की परतें अब धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं। पूर्व विधायक एवं जजपा नेता सतविंद्र राणा की गिरफ्तारी से जहां कई सफेदपोश राडार पर आ गए हैं,वहीं शराब घोटाले में लगातार हो रही गिरफ्तारियों से पुलिस व प्रशासन के अफसरों को भी पसीने आने लगे हैैं। भाजपा सरकार के नेताओं ने ही अपने सहयोगी दल के नेताओं को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। दलील दी जा रही है कि इस शराब घोटाले के कारण भाजपा की काफी किरकिरी हो रही है। यह अलग बात है कि सहयोगी दल पूरे मामले में स्थिति साफ करते हुए खुद को पाक साफ बता चुका है। सोनीपत के खरखौदा स्थित मालखाने से जहां करोड़ों रुपये की शराब गायब हुई,वहीं पानीपत के समालखा में काफी पहले शराब चोरी का खेल हुआ। इसी केस में पूर्व विधायक एवं जजपा नेता सतविंद्र राणा की गिरफ्तारी हुई है।
आबकारी विभाग के मुख्यालय के संरक्षण से रेवाड़ी जिला में तैनात कर्मचारियों ने जहां 26 मार्च से लेकर 31 मार्च तक थोक के भाव में पास व परमिट जारी किए,वहीं रेवाड़ी के स्टॉक में दो हजार पेटियां शराब कम मिली है। रेवाड़ी के जिला उपायुक्त यशवेंद्र सिंह ने अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी है। उधर,नारनौल में लॉकडाउन के दौरान उजागर हुए शराब घोटाले में पता चला है कि पुलिस कॢमयों ने 70 पेटी शराब यह कहकर निकाली कि बरामद की गई शराब को नष्ट किया जाएगा। पुलिस कॢमयों ने शराब को नष्ट करने की बजाए बेच डाला। इस मामले में दो पुलिस कर्मी निलंबित हो चुके हैं।आबकारी विभाग के मुख्यालय पर तैनात अधिकारी जहां इन घोटालों को लेकर आंखे मूंदे रहे,वहीं फील्ड में तैनात जिला अधिकारियों ने अगर रिपोर्ट को कार्रवाई के लिए भेजा तो उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लॉकडाउन से पहले फतेहाबाद में भी शराब की ढ़ाई लाख बोतलें गायब होने का मामला सामने आया है। फतेहाबाद के डीइटीसी इस घोटाले की रिपोर्ट चंडीगढ़ मुख्यालय को भेज चुके हैं। इस रिपोर्ट पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
राणा ने शराब गोदाम में अपनी हिस्सेदारी स्वीकार की
चार राज्यों में बेची शराब,खरीदार भी डकार गए रुपये
एसआइटी ने समालखा में गोदाम से शराब चोरी और तस्करी मामले में गिरफ्तार राजौंद के पूर्व विधायक व जजपा नेता सतविंद्र राणा व उनके साझीदार ईश्वर को आमने-सामने बैठाकर छह घंटे पूछताछ की। बताया जाता है कि शुरू में सीआइए-टू थाने में राणा एसआइटी के सवालों का जवाब देने से बचते रहे,जबकि ईश्वर ने सभी सवालों के जवाब दिए। बताया जाता है कि बाद में पंचकूला से लाए शराब गोदाम में हिस्सेदारी के कागज दिखाए जाने पर सतविंद्र राणा ने पूछताछ में सहयोग किया। पूछताछ में ईश्वर ने बताया कि जैमिनी डिस्टलरी पटियाला को लाइसेंस मिला था। ये डिस्टलरी गुरुग्राम में लगाई गई थी। वहीं पर रजिस्ट्रेशन कराया गया था। वर्ष 2016 में फर्म गुरुग्राम से समालखा में खोली गई। हैदराबाद के डाक्टर ने शराब का पेटेंट करा रखा है। फर्म को शराब बनाने का फार्मूला देते थे। इसकी एवज में मोटी रकम लेते थे। 2016 में आबकारी विभाग ने गोदाम को सील कर दिया था। गोदाम सील होने से पहले चार राज्यों में शराब बेची गई। उन लोगों ने भी लाखों रुपये नहीं लौटाए। हाई कोर्ट में गोदाम खोलने की याचिका डाली,लेकिन कोर्ट ने कहा कि आबकारी विभाग से तालमेल करें। एसलआइटी ने बताया कि पूर्व विधायक सतविंद्र राणा शुगर से पीडि़त हैं। उन्हें दवा दिलाई गई है। इसके अलावा सतविंद्र राणा, ईश्वर व जेल जा चुके पांच आरोपितों का कोविड-19 का टेस्ट कराया गया। इसकी रिपोर्ट आनी बाकी है। शुक्रवार को पूर्व विधायक से मिलने स्वजन व परिचित सीआइए-टू पहुंचे। उधर, सतविंद्र राणा और ईश्वर ने सोनीपत के शराब माफिया भूपेंद्र से जान-पहचान होने से इन्कार किया है।
राणा को नहीं मिली जमानत
18 मई को होगी अगली सुनवाई
सोनीपत के खरखोदा में हुए शराब घोटाले के मामले में कथित आरोपी सतविंदर राणा को आज कोर्ट से जमानत नहीं मिली। इस मामले में अगली सुनावाई 18 मई को होगी। बता दें कि करोड़ों रुपए की शराब चोरी मामले में पानीपत की सीआईए टीम ने राजौंद के पूर्व विधायक सतविंदर राणा को गिरफ्तार किया था। 2 दिन के पुलिस रिमांड के बाद आज उन्हें न्यायालय में पेश किया,जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
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