सत्यखबर, जींद
प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले से जुड़े हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं,वहीं पुलिस मामले में संलिप्त लोगों की सूची तैयार कर रही है। ये वे लोगों हैं,जो सफेदपोश शराब कारोबार में शामिल हैं और उनकी आड़ में शराब माफिया हरियाणा में सक्रिय हो रहा है। हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार सतविंद्र राणा इस मामले में पुलिस की दूसरी कार्रवाई है। इससे पहले घोटाले के किंगपिन भूपेंद्र ने सोनीपत में आत्मसमर्पण किया था।
अभी कई बड़े लोगों की गिरफ्तारी होनी बाकी
सूत्रों के मुताबिक,खरखौदा शराब घोटाले के मामले में अभी कई बड़े लोगों की गिरफ्तारी होनी बाकी है। दरअसल इस पूरे मामले में लॉकडाउन में शराब निकालना तो आसान रहा,लेकिन लॉकडाउन के चलते शराब चोरी में संलिप्त नामचीन लोग खुद बाहर नहीं निकल पाए। पानीपत पुलिस ने शराब चोरी का जो मुकदमा दर्ज किया है। वह भी लॉकडाउन के दौरान ही चोरी हुई थी। सतविंद्र राणा को भी पुलिस ने इसी मामले में उठाया है। खरखौदा थाने में सरेंडर भूपेंद्र सिंह को भी लॉकडाउन में शराब की चोरी के मामले में एसआईटी ने उठाया था। अभी तक दोनों मामलों में कोई लिंक निकल कर नहीं आया है,लेकिन भूपेंद्र से इस बारे में पूछताछ की जा रही है कि उसके संपर्क में कौन-कौन था। अभी इस मामले में कई और लोगों की गर्दन पर पुलिस का हाथ जाना बाकी है, क्योंकि पुलिस के मुखिया और गृह मंत्री अनिल विज रोजाना इस मामले की मानीटरिंग खुद कर रहे हैं।
प्रदेश की राजनीति का पारा गरमाया
इस बीच,शराब घोटाले में सरकार के सहयोगी दल जजपा के नेता और पूर्व विधायक सतविंदर राणा की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। सूत्र बताते हैं कि राणा की गिरफ्तारी से पहले पुलिस के आला अधिकारियों ने सरकार व गृह मंत्री को जानकारी जरूर दी होगी लेकिन गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। पूछने पर विज ने यह जरूर कहा कि हो सकता है कि मुख्यमंत्री को इस संबंध में बताया गया हो। हालांकि जजपा नेताओं का कहना है कि सतविंदर राणा पार्टी में किसी पद पर नहीं थे वह सिर्फ बीते विधानसभा चुनाव में कलायत से प्रत्याशी जरूर थे।
पूर्व विधायक राणा को लग गई थी भनक
पूर्व विधायक सतविंद्र राणा को इस मामले की भनक लग गई थी। पिछले करीब तीन दिन से राणा अपने फोन से बात नहीं कर रहा था। जो भी बात होती थी वह नंबर चेंज करके की जाती थी। जिसके चलते पुलिस लोकेशन नहीं ट्रेस कर पा रही थी।लोकेशन मिलते ही पुलिस ने राणा को उठा लिया।
विज़ शराब माफिया के खिलाफ खुलकर मैदान में
गृह मंत्री अनिल विज अब इस मामले में शराब माफिया के खिलाफ खुल कर सामने आ गए हैं। सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों यमुनानगर में 1200 पेटी शराब बरामद हुई। इस विषय में एक स्थानीय नेता ने विज को फोन किया तो विज ने फोन ही नहीं उठाया और आरोपी पर परचा दर्ज करवा दिया। अब प्रदेश में जहां भी शराब तस्करी के मामले सामने आ रहे है। अनिल विज स्वयं ऐसे मामलों को मानीटर कर रहे हैं।
राणा के नाम पर एमएलए हॉस्टल में नहीं बुक हुआ कमरा
हरियाणा पुलिस द्वारा बुधवार की रात चंडीगढ़ में दबिश देकर पूर्व विधायक को गिरफ्तार किए जाने के बाद राजनीति के गलियारों में शराब तस्करी के मुद्दे पर नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सतविंद्र राणा जिस भी पार्टी में रहे हों वहां उन्होंने बहुत कम समय में बड़ा मुकाम हासिल किया है। कांग्रेस में रहते हुए राणा ने कई अहम पदों पर जिम्मेदारी निभाई। पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि राणा की गिरफ्तारी एमएलए हॉस्टल परिसर से हुई है। वह चंडीगढ़ में आए हुए थे। राणा की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस द्वारा बताई जा रही कहानी में पूरी तरह से पेंच है। जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के चलते एमएलए हॉस्टल में इन दिनों न तो कोई कमरा बुक किया जा रहा है और न ही किसी को यहां रूकने की इजाजत है। एमएलए हॉस्टल की कैंटीन भी पिछले कई दिनों से बंद है। एमएलए हॉस्टल के आवासीय क्षेत्र और मुख्य द्वार के बीच खासा फासला है। किसी भी व्यक्ति की मुख्य द्वार से आगे एंट्री नहीं होती है। ऐसे में पुलिस की कहानी को अगर सही माना जाए तो राणा कैसे एमएलए हॉस्टल में पहुंच गए और क्या वह यहां पर रूके हुए थे, इसकी कोई पुष्टि नहीं कर रहा है। विधानसभा स्पीकर के निर्देश के बाद एमएलए हास्टल में किसी को प्रवेश की इजाजत नहीं है। बता दें कि दिवंगत विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के एक गांव के जान पहचान के व्यक्ति को नशे के सामान के साथ एमएलए हास्टल से गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद यहां एंट्री बंद हो गई थी।
मामला शराब कंपनी से भी जुड़ा
पूर्व विधायक सतविंद्र राणा की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक गलियारों में जो चर्चा चल रही है उसके अनुसार राणा कथित तौर पर एक शराब कंपनी का सीएंडएफ संभालते हैं। लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले में इस कंपनी की शराब बेचे जाने की बात सामने आई है। उक्त कंपनी द्वारा एक्साइज टैक्स की अदायगी नहीं की गई थी। इसी सिलसिले में राणा चंडीगढ़ में एक कद्दावर नेता से मिलने के लिए आए थे और पुलिस ने उन्हेंं उसी कद्दावर नेता के आवास के बाहर से ही दबोच लिया।
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