सत्य खबर । चंडीगढ़
प्रदेश में नियमित अध्यापकों की तर्ज पर 12 फीसद महंगाई भत्ता (डीए) मांग रहे अतिथि अध्यापकों को शिक्षा विभाग ने झटका दिया है। नियमित शिक्षकों के बराबर डीए देने से इन्कार करते हुए मौलिक शिक्षा निदेशक प्रदीप कुमार ने साफ कर दिया है कि वित्त विभाग ने हर छह महीने बाद तीन फीसद डीए बढ़ाने की ही मंजूरी दी है।
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प्रदेश में करीब 13 हजार से अधिक अतिथि अध्यापक सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। मनोहर सरकार ने अपनी पहली पारी में विधानसभा में बिल लाकर इन अतिथि अध्यापकों को 58 साल तक नौकरी से नहीं निकालने का इंतजाम कर दिया था। समान काम के बदले समान वेतन देने की व्यवस्था भी की गई। इसके अलावा पहली जनवरी 2019 से हर छमाही में तीन फीसद डीए बढ़ाने का नियम लागू कर दिया गया।
अतिथि अध्यापकों का तर्क था कि जब नियमित शिक्षकों को दोगुना डीए दिया जाता है तो उन्हें क्यों नहीं। मामला हाई कोर्ट में भी पहुंचा, लेकिन वहां भी एडवोकेट जनरल ने दलील दी कि शिक्षा विभाग अपने स्तर पर डीए में इजाफा नहीं कर सकता है। इसके साथ ही अतिथि अध्यापकों की याचिका खारिज हो गई।
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