सत्य खबर । पॉलिटिकल डेस्क
बरोदा उपचुनाव में अब तक की सबसे बड़ी चर्चा यह है कि कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज उर्फ भालू की टिकट में किस की अहम भूमिका है। एक और कांग्रेस के विपक्षी दल इस प्रचार में जुटे रहे कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की टिकट वितरण में नहीं चली जिसकी वजह से भालू को कांग्रेस की टिकट मिली है। लेकिन दो दिन पहले इंदुराज भालू ने अपने टिकट का पूरा श्रेय भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दीपेंद्र सिंह हुड्डा को दे दिया। जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा कि मुझे किसी की नहीं केवल इन दोनों की जरूरत है उन्हीं की वजह से मुझे टिकट मिली है।
इंदुराज के इस बयान को भी सियासी गलियारों में खूब प्रचारित किया गया और विपक्ष ने नारा लगाया कि आप कुमारी सैलझा किस मुंह से इंदुराज के लिए टिकट मांगने आएंगी। ये बात कुमारी सैलजा तक भी पहुंची तो उन्होंने रोहतक में कांग्रेस की बैठक के दौरान इस पर नाराजगी जताई। सैलजा ने कांग्रेस की गुप्त बैठक में कहा कि प्रत्याशी के इस प्रकार के बयान से पार्टी के नेताओं का दिल टूटता है और इससे विपक्षियों को बोलने का मौका मिलता है। हालांकि बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता यह कहते नजर आए कि फूट जैसी कोई बात नहीं है।
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दरअसल इंदुराज की टिकट के बाद माना जा रहा था कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की टिकट के लिए पहली पसंद कपूर सिंह नरवाल की टिकट कटवा कर कुमारी सेलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने जींद वाले उप चुनाव की तरह कांटा निकाल दिया।
कमजोर प्रत्याशी को टिकट दिलाकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इस उपचुनाव में फंसा दिया गया है लेकिन टिकट वितरण के दो दिन बाद ही कपूर सिंह नरवाल को अपने साथ जोड़कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इन सारे कयासों पर ब्रेक लगा दिया और इसके साथ ही इंदुराज का बयान जिसमें उन्होंने कहा कि मेरा नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा है ने पार्टी में भी एक बड़ा मैसेज दे दिया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा कुछ भी नहीं है।
इस क्षेत्र में कांग्रेस से ज्यादा भूपेंद्र सिंह हुड्डा की साख काम करती है। ऐसे में उम्मीदवार से ज्यादा लोगों को भूपेंद्र सिंह हुड्डा से ही उम्मीदें ज्यादा रहती हैं। इंदुराज नरवाल इस बात को साफ-साफ समझते भी हैं। फिलहाल चुनाव की स्थिति एकतरफा भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में दिखाई देती है। आज की स्थिति से यह तो स्पष्ट है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कांटा इतना कमजोर नहीं है कि कोई भी निकाल दे।
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