सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
बाबा गैबी साहिब मंदिर में चल रही श्रीमदभागवत कथा के दूसरे दिन मुख्य यजमान के रूप में मुकेश यादगार समिति के संरक्षक डा. एसके सिंगला उपस्थित रहे। कथावाचक संतोष कृष्ण त्रिपाठी ने भगवान सुखदेव के जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए राजा परिक्षत के जन्म-कर्म की व्यथा का बखान किया। उन्होंने राजा परिक्षत को कलयुग का मिलन व ऋषि के श्राप का वर्णन करते हुए कहा कि सुखदेव भगवान शुकताल पर आकर श्रीभदभागवत कथा का श्रवण करवाते हैं। इसके अतिरिक्त राजा परिक्षत भी श्रीमदभागवत कथा के प्रभाव से मुक्त हो जाते हैं। श्री मदभागवत की महिमा अनंत है, जो भगवान श्रीकृष्ण का अवतार माना जाती है। संतोष कृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि मनुष्य को मंदिरों में जाने की आवश्यकता नहीं है। उसे सच्चा ज्ञान प्राप्त करना है, तो मन की संतुष्ठि ही सबसे बड़ा धन है। इसलिए व्यक्ति को मोह-माया का त्याग कर अपना जीवन को समाज सेवा में जगा देना चाहिए, तभी उसके जीवन जीने का मनोरथ सफल हो सकता है। कथावाचक ने कहा कि सबसे बड़ी सेवा अपने गुरूजनों व माता-पिता की सेवा है, इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वो केवल निजी स्वार्थ के लिए न जीयें, बल्कि निस्वार्थ भाव से समाज को अपना जीवन समर्पित कर दें। इस अवसर पर महंत अजय गिरी, भारत भूषण गर्ग, अचल मित्तल, तरसेम शर्मा, दिलबाग मोर, रामचंद्र मिर्धा, सुभाष चहल, राजू प्रजापत, पं. रोशलाल वेदपाठी, कृष्ण मोर, मनजीत मिर्धा सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
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