सत्य खबर, इंडिया
राज्यसभा ने मंगलवार को पांच नए स्थापित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईआईटी) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के रूप में घोषित करने के लिए एक विधेयक पारित किया।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कानून (संशोधन) विधेयक 2020 के तहत सूरत, भोपाल, भागलपुर, अगरतला और रायचूर में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में पांच आईआईआईटी के साथ-साथ 15 आईआईटी भी राष्ट्रीय महत्व के संस्थान बन जाएंगे।
उक्त विधेयक 20 मार्च को पिछले सत्र में पहले ही लोकसभा में पारित हो चुका है। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को उच्च सदन में विधेयक को पेश किया था। वहीं मंगलवार को उच्च सदन ने ध्वनिमति से इस विधेयक को पारित कर दिया।
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि देश में अभी 25 आईआईआईटी हैं, जिनमें से पांच पूरी तरह से केंद्र सरकार की ओर से संचालित हैं और 15 सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत संचालित होते हैं। उन्होंने कहा कि हम पहले से ही संचालित पांच संस्थानों को इस कानून के तहत लाने के लिए सदन के सामने प्रस्ताव लाया गया है। इन संस्थानों का परिचालन पहले से ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को विधेयक के दायरे में लाने से वे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान बन जाएंगे और उन्हें डिप्लोमा, डिग्री, पीएचडी आदि जारी करने का कानूनी अधिकार होगा। इससे संस्थानों को सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मजबूत अनुसंधान आधार विकसित करने के लिए जरूरी पर्याप्त छात्रों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
वर्तमान में ये आईआईआईटी, सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत पंजीकृत सोसाइटी के रूप में कार्य कर रहे हैं। वे अब आईआईआईटी (पीपीपी) अधिनियम, 2017 के तहत पीपीपी मोड में योजना के तहत स्थापित अन्य 15 आईआईआईटी की तरह ही कवर किए जाएंगे।
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