सत्य खबर
आज हम आपको बताने वाले है कि किस तरह कई बार अपमान हमारे जीवन के माइने बदल देता है. या हमारे दिल पर इस कदर चोंट पहुंचा देता है कि उसके बाद सफर शुरू होता है बुलंदियों का,, और बुलंदियां भी इतनी ऊंची जहां तक पहुंचे की हमने कल्पना तक नहीं की हो. ये कहानी है लेम्बोर्गिनी के संस्थापक फारुशियो लेम्बोर्गिनी की. जिसने एक अपमान के बदले कार कंपनी खोल दी. और उसे उन बुलंदियों तक पहुंचाया. कि आज दुनिया का हर एक इंसान उनकी कार के बारे में जानता है. और उनकी बनाई उस बेहतरीन कार में बैठने का सपना अपनी आंखों में लिए घुमता है।
फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने फरारी से अपने अपमान का बदला लेने के लिए एक कार कंपनी खोल डाली. जिसे दुनिया आज लेम्बोर्गिनी के नाम से जानती है. जिसके बाद से ही शुरू हुई दुनिया की दो सबसे बेहतरीन 2 स्पोर्ट्स कार कंपनियों के बीच सबसे अच्छा कौन की जंग।
फारुशियो लेम्बोर्गिनी 1916 में इटली के एक किसान परिवार में जन्में, किसान परिवार से तालुक रखने के बावजूद स्पोर्ट्स कारों के दीवाने रहे. जिसके चलते उन्होंने मैकेनिकल की पढ़ाई की और 1940 में इटेलियन रॉयल एयर फोर्स में भर्ती हुए. एयर फोर्स में एक मैकेनिक का काम करते हुए वो व्हीकल मेनटेनेंस यूनिट के सुपरवाइजर बने. इस दौरान 1945 में फारुशियो को ब्रिटेन के कई सैनिकों समेत बंदी बना लिया गया.
दुसरे विश्व युद्ध के बाद फारुशियो और बाकि सैनिकों को रिहा कर दिया गया. एयर फोर्स से लौटने के बाद फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने खुद का गैराज खोला. और अपना पहला ट्रैक्टर कैरिओका तैयार किया. इनका ये ट्रैक्टर उस समय चलने वाले ट्रैक्टरों से अलग था. इसमें मोरिस ट्रक्स की तरह 6 सिलेंडर पेट्रोल इंजन लगे हुए थे. अपनी पावर की वजह से कैरिओका को खूब सफलता मिली. इस सफलता के बाद लेम्बोर्गिनी ट्रटोरी नाम से एक ट्रैक्टर्स मैन्युफैक्चरिंग की कंपनी शुरू की. इस समय तक भी फारुशियो का कारों के बिजनेस में आने का कोई इरादा नहीं था. लेकिन कायनात को कुछ ओर ही मंजूर था।
फारुशियो ने अपने लिए 1958 में टू सीटर कूपे फरारी 250 जीटी खरीदी थी. जिसमे उन्हें कई खामियां नजर आई. और वो सोच बैठे कि इन खामियों के बारे में कंपनी के मालिक को बताएंगे. ताकि वो अपनी गाड़ियों में सुधार कर सके. लेकिन अपने बड़े रूतबे के चलते कंपनी द्वारा टैक्टर मैकेनिक फारुशियो की बात को ना केवल नजरअंदाज किया गया बल्कि उनका अपमान करते हुए कहा कि ‘दिक्कत गाड़ी में नहीं उसे चलाने वाले ड्राइवर में है.
गाड़ियों में ध्यान देने से अच्छा है तुम अपने ट्रैक्टर बिजनेस पर ध्यान दो.’ लेकिन ये बात फारुशियो के दिल को घर कर गई और इसी ठेस ने उनके दिमाग में एक नई सोच को जन्म दिया. उन्हें समझ आ गया कि अब कारों में रुचि बढ़ाने के साथ इसे व्यवसाय में बदलना जरूरी है. जिसके बाद उन्होंने एक ऐसी गाड़ी को तैयार करने का काम शुरू किया. जो फरारी को टक्कर दे सके. 4 महीने की कड़ी मेहनत के बाद फारुशियो ने अक्टूबर 1963 में हुए टूरिन मोटर शो में अपनी लेम्बोर्गिनी 350 जीटीवी उतार दी.
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उनकी इस नई कार ने स्पोर्ट्स कार के दीवानों को खूब आकर्षित किया और इस तरह फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने अपनी सफलता की नींव रख ली. और फरारी को टक्कर दी. ऐसे एक के बाद एक कई शानदार गाड़ियां मर्सडीज-बेंज 300 एसएल, जैगुआर ई-टाइप कूपे और दो मसेराती 3500 जीटी जैसी कार लॉंच की गई।
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