सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
कोरोना संकट के समय लॉकडाउन में जहां स्वास्थ्य कर्मी व पुलिस कर्मचारी ड्यूटी पर मुश्तैदी से तैनात हैं, वहीं सफाई कर्मचारियों की भी अनदेखी नहीं की जा सकती। इसी कड़ी में नगरपरिषद नरवाना में सफाई निरीक्षक भूपेंद्र नैन सुबह 7 बजे से सांय 7 बजे तक 12 घण्टे अपनी ड्यूटी करते हैं। सच मानो तो, कोरोना वायरस ने उनका लाइफ स्टाइल ही बदल दिया है। बावजूद इसके शहर के 23 वार्डों में मात्र 124 सफाई कर्मचारी ही नियुक्त है, जबकि नगरपरिषद में 146 कर्मचारियों की और जरूरत है। इतने थोड़े कर्मचारियों को सफाई के अतिरिक्त कई बार अस्पताल व क्वारंटाइन की जगहों को सेनेटाइज भी करना होता है, तो सफाई निरीक्षक भूपेंद्र नैन निगरानी के लिए साथ जाते हैं। इस दौरान उन्हें पहनने के लिए दूसरी ड्रेस साथ रखनी पड़ती है और ड्यूटी के समय पहनी ड्रेस को घर आकर अलग से किसी बर्तन में भिगोना पड़ता है। घर वाले प्रभावित ना हो जाएं, प्रवेश से पहले कपड़ों को सेनेटाइज करना पड़ता है। कोई सफाई कर्मचारी आकस्मिक छुट्टी लेता है, तो उनकी जगह इन सीमित संख्या के सफाई कर्मचारियों को भेजना पड़ता है, ताकि स्वच्छता की कड़ी टूट ना जाए। लॉकडाउन में जब सभी अपने घरों में मौजूद होते हैं, तो सफाई निरीक्षक भूपेंद्र नैन वार्ड-वार्ड, गली-गली में सफाई की निगरानी कर रहे होते हैं, जो कोई योद्धा ही ऐसा कर सकता है। कब, कहां से सफाई व सेनेटाइज के लिए फोन आ जाये, तो उन्हें अपना मोबाइल हाथ में रखना पड़ता है।
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नगरपरिषद में कूड़ा उठाने के लिए केवल मात्र एक ही ट्रैक्टर ट्राली है, जबकि 23 वार्डों में बसे इस शहर में कम से कम 4 ट्रैक्टर-ट्रालियों की जरूरत है। नप के पास कोई जेसीबी नहीं, जबकि इसकी जरूरत पड़ती रहती है। दो डस्टबीन उठाने वाली गाडिय़ों की जगह केवल एक ही गाड़ी से काम चल रहा है। इसके अतिरिक्त घर-घर कूड़ा उठाने के लिए प्रत्येक वार्ड में एक छोटा हाथी होना चाहिए, इन 23 छोटे वाहनों का भी नप में कोई प्रबन्ध नहीं है।
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