चंडीगढ़, सत्यखबर
एक समान कार्य करने वाले दो कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता और उन्हेंं समान वेतन देना अनिवार्य है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए फार्मासिस्ट का वेतन दोबारा निर्धारित करने के आदेश दिए हैं। एक याचिका पर फार्मासिस्ट पंकज की ओर से कहा गया कि उसे हिसार में 10000 के वेतन पर रखा गया था। इसके बाद उसे नेशनल हेल्थ मिशन के तहत लाया गया और उसे 15000 प्रति माह का वेतन दिया जाने लगा। याचिकाकर्ता ने बताया कि उसे अनुबंध के आधार पर रखा गया था,लेकिन उसके और नियमित कर्मचारियों के वेतन में जमीन आसमान का फर्क था। उसे वेतन के तौर पर 15000 दिए जाते थे,वहीं नियमित कर्मचारियों का वेतन 39000 था। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए हाईकोर्ट को बताया कि इस प्रकार समान कार्य के लिए उसे व अन्य समकक्ष कर्मियों को आधा वेतन देना उसके व उसके जैसे अन्य कर्मचारियों के साथ अन्याय है। हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को याचिकाकर्ताओं का वेतन दोबारा निर्धारित करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिका दाखिल करने के 38 माह पूर्व तक के वेतन पर ब्याज देने की भी हरियाणा सरकार को आदेश दिए हैं।
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