सत्यखबर, दिल्ली
नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर किसानों के आंदोलन का आज 29 वां दिन है। सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है और दोनों पक्षों के बीच बातचीत फिर से शुरु ही नहीं हो पा रही है। वहीं अब सरकार ने किसान संगठनों को पत्र लिखा है,..
तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश भर के किसानों का आंदोलन पिछले कई दिनों से लगातार जारी है… इस बीच केंद्र सरकार ने फिर से किसानों को चिट्ठी लिख बातचीत का रास्ता खुला रहने का संकेत दिया है… बता दें कि किसान आंदोलन के बीच सरकार की ओर से किसानों को एक और चिट्ठी लिखी गई है….कृषि मंत्रालय द्वारा लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि सरकार किसानों की हर मांग पर चर्चा करने के लिए तैयार है…..सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि अभी भी बातचीत के रास्ते खुले हुए हैं…चिट्ठी में सरकार ने अगले दौर की बातचीत के लिए समय और तारीख तय करने को कहा है..
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है…किसान लगातार नए कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं…ऐसे में किसानों की आशंकाएं दूर करने की कोशिशें खुद प्रधानमंत्री की तरफ से भी हो रही है….पहले कच्छ में किसानों संग प्रधानमंत्री ने संवाद किया, फिर रायसेन में भी किसानों से वार्ता की….अब 25 दिसंबर को भी पीएम बोलेंगे और अन्नदाता सुनेंगे.
बता दें कि सरकार द्वारा कृषि कानूनों के वापस ना लेने पर किसानों ने आगे की रणनीति भी तय की हुई है…..किसान 25-27 दिसंबर को हरियाणा के सभी टोल फ्री करेंगे…..और 26-27 दिसंबर को विदेशों में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन करने का मन भी बना चुके हैं, जबकि 27 दिसंबर को किसान पीएम के मन की बात कार्यक्रम के दौरान थाली बजाएंगे..
5-इसी तरह विद्युत अधिनियम (संशोधन) विधेयक के ड्राफ्ट पर आपका प्रस्ताव अस्पष्ट है और बिजली बिल भुगतान तक सीमित है। जब तब आप इस ड्राफ्ट में क्रॉस सबसिडी को बंद करने के प्रावधान के बारे में अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं करते, तब तक इस पर जवाब देना निरर्थक है। वायु गुणवत्ता अधिनियम पर “उचित प्रतिक्रिया” का आश्वासन इतना खोखला है कि उसका जवाब देना हास्यास्पद होगा।
6-हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि प्रदर्शनकारी किसान और किसान संगठन सरकार से वार्ता के लिए तैयार है और इंतजार कर रहे हैं कि सरकार कब खुले मन, खुले दिमाग और साफ नीयत से इस वार्ता की आगे बढ़ाए। आपसे आग्रह है कि आप निरर्थक संशोधनों के खारिज प्रस्तावों को दोहराने की बजाए कोई ठोस प्रस्ताव लिखित रूप में भेजें ताकि उसे एजेंडा बनाकर जल्द से जल्द वार्ता के सिलसिले को दोबारा शुरू किया जा सके।
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