सत्य खबर, मुकेश बघेल, पलवल
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि राज्य में वर्कलोड व आबादी के अनुसार करीब 8 लाख पद रिक्त हैं और दूसरी तरफ राज्य बेरोजगारी में नंबर वन हैं। उन्होंने कौशल रोजगार निगम भंग करने और बिना किसी देरी किए खाली पड़े पदों को पक्की भर्ती भरकर बेरोजगारों को रोजगार देने की मांग की। उन्होंने कहा कि खाली पड़े पद भरने के उपरांत ही कर्मचारी जनता
बेहतर जन सेवाएं प्रदान की जा सकती है। उन्होंने यह मांग मंगलवार को रसूलपुर रोड़ स्थित सर्व कर्मचारी संघ के जिला कार्यालय में आयोजित जिला कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए की। बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान राजेश शर्मा ने की। जिला सचिव योगेश शर्मा द्वारा संचालित इस बैठक में आल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन के डिप्टी जरनल सेकेट्री जितेंद्र तेवतिया, मैकेनिकल वर्कर यूनियन के उपाध्यक्ष राकेश तंवर, सकसं के कोषाध्यक्ष देवी सिंह सहजवाल व खंड प्रधान राजकुमार डागर के अलावा जिला एवं खंड कमेटी के पदाधिकारी और विभागीय संगठनों के पदाधिकारी मौजूद थे। जिला कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा में सरकार की कर्मचारी एवं मजदूर विरोधी नीतियों और कर्मचारियों की मांगों का समाधान करने की बजाय निजीकरण की मुहिम को आक्रामक तरीके से लागू करने के खिलाफ 27 मई को प्रदेश भर में प्रदर्शन किए जाएंगे। आंदोलन की अगली कड़ी में जून महीने में खंड स्तर पर कर्मचारी सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। जिसमें कर्मचारियों को निर्णायक आंदोलन के लिए तैयार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम ठेका कर्मियों को पक्का करने, समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने से रोकने के लिए गठन किया गया है। जिसको सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने दो टूक कहा कि कौशल रोजगार निगम भंग होने और कर्मचारियों की लंबित मांगों के समाधान होने तक आंदोलन जारी रहेगा। जिला प्रधान राजेश शर्मा व सचिव योगेश शर्मा ने बताया कि बैठक में लिए गए निर्णय अनुसार 18 मई से 25 मई तक सभी खंडों में कर्मचारियों से सीधे संवाद स्थापित करने के लिए जन संपर्क अभियान चलाया जाएगा। बैठक में नगर पालिका कर्मचारी संघ की 23-24 मई की प्रदेशव्यापी हड़ताल,19 मई को स्वास्थ्य विभाग मिनिस्टीरियल स्टाफ एसोसिएशन के डीजी हेल्थ पंचकूला के प्रदर्शन का भी पुरजोर समर्थन करने का फैसला लिया गया।
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आंदोलन की मांगें निम्न हैं
आंदोलन की प्रमुख मांगों में पुरानी पेंशन बहाल हो और अब तक एनपीएस से आ चुके कर्मचारी उसमें शामिल किया जाए, निजीकरण-ठेका प्रथा बंद हो व छंटनीग्रस्त कर्मचारी बहाल हो और राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन बंद किया जाए, सभी प्रकार के अनुबंध, आउटसोर्स, स्कीम, प्रोजेक्ट,पार्ट टाइम, अतिथि, एक्सटेंशन,टर्म अप्वाइंटी,फिक्स वेतन,जाब वर्क या किसी भी नाम से कच्चे कर्मियों को पक्का किया जाए,यह प्रक्रिया पूरी होने तक पक्को के समान वेतन भत्ते व अन्य सुविधाएं देते हुए सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए, लिपिक वर्ग का वेतन 35400 किया जाए, ग्रुप डी के कर्मियों का पदोन्नति का कोटा बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने और पदोन्नति में लगाई गई पांच साल की शर्त को कम कर दो साल करने, लेबर कोड्स, बिजली संशोधन बिल व एनईपी को रद्द किया जाए, पेंशनर्स को 65,70,75 व 80 वर्ष आयु के उपरांत बेसिक पेंशन में 5 प्रतिशत बढ़ोतरी की जाए, महंगाई पर रोक लगे, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत किया जाए, समयबद्ध पदोन्नति (एसीपी) लाभ बिना शैक्षिक योग्यता या अन्य शर्त 4-9-14 वर्ष सेवा पर देने, सभी के लिए कैशलेश मेडिकल के लिए सरकारी अस्पतालों को को समर्थ/सक्षम बनाया जाए। केवल अनुपलब्धता की स्थिति में बाहर बीमा आधारित की बजाय पूर्णतः कैशलेश किया जाए और संपत्ति क्षतिपूर्ति कानून, एस्मा और 311 (2 बी) आदि काले कानून रद्द करना शामिल है।
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