सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
सर छोटूराम महान हस्ती थे और वे वास्तव में किसान एवं कमेरे वर्ग के मसीहा थे। उन्होंने हमेशा दिशाहीन एवं कमजोर व्यक्ति के हित की लड़ाई लड़ी तथा जनसाधारण में अपने अधिकारों के प्रति चेतना पैदा की। यह बात छोटू राम पार्क में दीनबंधु सर छोटूराम की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में मुख्यातिथि बिजली व जेल मंत्री रणजीत चौटाला ने कही। उन्होंने कहा कि सर छोटूराम सच्चे अर्थों में दीनबंधु थे और जन चेतना एवं अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि उनके संघर्ष की बदौलत किसान एवं गरीब वर्ग को इज्जत की जिंदगी नसीब हुई। रणजीत चौटाला ने सर छोटू राम के आदर्शों को प्रचारित करने के लिए डा. योगानंद शास्त्री तथा डा. अनिल दलाल को विशेष रूप से सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त भाकियू के प्रांतीय अध्यक्ष जोगेन्द्र घासीराम नैन ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी स्पीकर योगेन्द्र पाल शास्त्री को 11 हजार रूपये की नगद राशि व शाल भेंटकर सम्मानित कियश। हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा कि सर छोटूराम वर्तमान कमेरे समाज के महानायक थे। वे पहले ऐसे किसान मसीहा थे, जिन्होंने विदेशी हुकूमत के साथ लंबा संघर्ष कर गेहूं की फसल का सर्वप्रथम न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए सरकार को मजबूर किया। सांसद ने कहा है कि सर छोटूराम का मानना था कि शिक्षा के बिना प्रगति संभव नहीं है। इसलिए आम समाज के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा दिलाने के प्रति हमें आगे आना चाहिए। इस अवसर पर अमरपाल राणा, सुरेंद्र पाल, रणबीर कौर, ओमप्रकाश नैन, ट्रस्ट के अध्यक्ष पिरथी चौपड़ा, हरेंद्र डूमरखा, अमित ढांकल, विजेन्द्र श्योकंद, जगदीश उझाना, रामकुमार सहारण, दिलबाग श्योकंद, भाकियू अध्यक्ष जोगेन्द्र लोहचब, नरेंद्र घणघस, रवि श्योकंद, जियालाल ढूंढवा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
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पर्ची देने वालों को बैठाते रहे आयोजक
बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला व हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह जब सर छोटूराम जयंती पर आयोजित कार्यक्रम पर पहुंचे, तो लोगों ने अपने काम से संबंधित पर्चियां देनी शुरू कर दी। जिस कारण व्यवस्था बिगड़ती दिखाई दी। मंच से ही आयोजक पर्ची देने वाले लोगों को बैठाने की अपील करते रहे, लेकिन लोगों पर इसका कोई असर होता दिखाई नहीं दिया। आयोजकों ने कहा कि यह सर छोटूराम जयंती मनाने के लिए कार्यक्रम किया गया है, ना कि अपनी समस्या हल करवाने के लिए। लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं हुए।
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