वाहनों को सीज करने में इन दिनों बड़ा खेल हो रहा है। पुलिस खनन के जिस वाहन को सीज करती है, उसी वाहन का बाद में मोटर वाहन अधिनियम में चालान कर दिया जाता है। सत्य खबर
इसके बाद खनन विभाग भी जब्तशुदा वाहन का चालान ओवरलोडिंग में करता है। ऐसे ही कुछ मामले जब अदालत के सामने आए तो अदालत भी हैरत में पड़ गई। विभागों से आई आख्या ने इस गोरखधंधे को उजागर किया तो सीजेएम अनिल कुमार की अदालत ने सख्त चेतावनी दी और कानून के दुरुपयोग न करने की टिप्पणी की।
केस – एक
यशराज निरवाल ने अपने ट्रक को रिलीज कराने का प्रार्थना पत्र अदालत में पेश किया। यशराज के मुताबिक चार सितंबर 2020 को सरसावा पुलिस ने चोरी के माल तथा लोक संपत्ति अधिनियम में उसका ट्रक जब्त कर थाने में खड़ा करा लिया था। इसके बाद ट्रक का मोटर वाहन अधिनियम में एक और चालान कर दिया गया। 17 सितंबर को आरटीओ ने भी एक चालान किया, उस वक्त भी ट्रक पुलिस अभिरक्षा में था।
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केस -दो
मनोज पुत्र इंदर सिंह ने अदालत में अर्जी दी थी कि सरसावा पुलिस ने उसका ट्रक नौ सितंबर 2020 को जब्त किया था। जिसका बाद में मोटर वाहन अधिनियम में भी चालान कर दिया। यही नहीं इस ट्रक में लदी खनन सामग्री को लेकर खनन विभाग ने भी ओवरलोड बताते हुए चालान कर दिया।
इन दोनों मामलों में जब परिवहन और खनन विभाग से आख्या तलब की गई तो उन्होंने चालान करने को लेकर अपना पक्ष रखा। कोर्ट इस बात को लेकर हैरान थी कि जब कोई वाहन पुलिस ने जब्त कर लिया तो जब्ती के बाद उस वाहन का मोटर वाहन अधिनियम में चालान किस प्रकार किया गया।
वहीं खनन विभाग की और से न तो अदालत में कोई शिकायत दर्ज है, न हीं वाहन मालिक ने खनन विभाग को शमन की कार्रवाई को कोई प्रार्थना पत्र दिया है। ऐसे में खनन विभाग किस प्रकार से कार्यवाही कर सकता है। अदालत ने अपने आदेश में उच्च न्यायालय इलाहाबाद के नवीनतम आदेश का हवाला देते हुए कहा कि खनन में सीज किए गए वाहन को मुक्त करने का अधिकार कोर्ट को दिया गया है।
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