सत्यखबर, जींद
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहरी निकायों में मेयर, डिप्टी मेयर,चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के सीधे चुनाव को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने साफ कर दिया कि इस फैसले को बदलने का कोई विचार नहीं है। हरियाणा के शहरी निकाय मंत्री अनिल विज पिछले कुछ दिनों से सीधे चुनाव कराने के अपनी ही सरकार के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सीधे चुनाव कराने के फैसले पर पूरे प्रदेश से अच्छा फीडबैक आ रहा है और अधिकतर जनप्रतिनिधि व लोग यही चाहते हैैं। अनिल विज कई बार कह चुके हैैं कि शहरी निकायों में सीधे चुनाव की बजाय पुरानी प्रणाली से ही पार्षदों के आधार पर मेयर व चेयरमैन का चुनाव होना चाहिए। दिलचस्प बात यह है कि मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान अनिल विज की अध्यक्षता वाली कैबिनेट सब-कमेटी की सिफारिश पर ही नगर निगमों में मेयर,नगर परिषदों व नगर पालिकाओं में अध्यक्ष/चेयरमैन के सीधे चुनाव का फैसला हुआ था। विज की रिपोर्ट में कहा गया था कि निगमों में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का फैसला निगम पार्षदों पर ही पहले की तरह छोड़ देना चाहिए। कैबिनेट में विज कमेटी की रिपोर्ट पर मुहर के बाद विधानसभा में बिल पास कर कानून में बदलाव किया गया। इसके बाद रोहतक, हिसार, करनाल, पानीपत व यमुनानगर निगम निगम में मेयर के सीधे चुनाव भी करवाए जा चुके हैं। अब अनिल विज इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। शहरी निकाय मंत्री के इस तर्क को खारिज करते हुए मनोहर लाल ने कहा कि यह फैसला उनका अकेले का नहीं बल्कि समूची सरकार का था। जिन शहरों में निकाय के सीधे चुनाव हुए हैं वहां से बेहतर फीडबैक आ रहा है। ऐसे में इस फैसले को बदलने का कोई औचित्य नहीं है। अगर किसी को आपत्ति है तो वह उचित प्लेटफार्म पर बात करे।
एसईटी का गठन नियमानुसार
शराब घोटाले की जांच को लेकर एसईटी व एसआइटी के बीच छिड़े घमासान पर विराम लगाते हुए सीएम ने साफ कर दिया है कि एसईटी का गठन नियमानुसार कानून के दायरे में किया गया है। एसईटी अपना काम कर रही है। अभी तक एसईटी की जांच को लेकर कोई नकारात्मक फीडबैक नहीं आया है। ऐसे में जांच रिपोर्ट आने तक सभी को इंतजार करना चाहिए। उससे पहले किसी तरह की टिप्पणी करना उचित नहीं है। रिपोर्ट में जो भी दोषी मिलेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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