सत्य खबर, मुकेश बघेल, पलवल। डी.सी. कृष्ण कुमार ने बताया कि कृषि कार्यों के साथ-साथ पशुपालन एक लाभकारी सहायक कृषि कार्य है। सीमांत किसानों, बेरोजगार युवाओं को भी पशुपालन व्यवसाय अपनाना चाहिए। सभी पशु चिकित्सकों की सलाह से पशुपालन करें। पशु पालन एवं डेयरिंग विभाग की योजनाओं का लाभ उठाएं। पशु चिकित्सकों की सलाह पर अपने पशुओं में रोगों की रोकथाम के लिए समय-समय पर टीकाकरण करवाएं।
पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग के उप-निदेशक डा. इकबाल सिंह दहिया ने विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि डी.सी. कृष्ण कुमार के दिशा-निर्देशानुसार जिला में पशु पालन का कार्य सुचारू रूप से करने के लिए समय-समय पर किसानों को जागरूक किया जाता है। उन्होने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान पलवल जिला क्षेत्र में कुल 14 हजार 990 दुधारू पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया गया, जिनमें कुल 10 हजार 712 भैंस व कुल 4 हजार 278 गाय शामिल हैं। जिला क्षेत्र में पशुओं को भेड़माता रोग, इन्टीरो टॉक्सिनिया वैक्सिनेशन, स्वाइन फिवर और पी.पी.आर. के टीके लगाकर रोगमुक्त किया जाता है। इसी कड़ी में 34 हजार 947 पशुओं को मुहखुर के टीके लगाए गए।
उप-निदेशक ने बताया कि जिला क्षेत्र में विभाग की ओर से अनुसूचित जाति योजना के अंतर्गत आवेदकों की मांग के अनुरूप दुधारू यूनिट की स्थापना, समेकित मुर्रा विकास योजना के अंतर्गत हरियाणा नस्ल की गायों, मुर्राह नस्ल की भैंस, साहिवाल नस्ल की गाय का चयन और बैकयार्ड पौल्ट्री योजना के तहत भेड़ व बकरी यूनिट तथा सूकर यूनिट स्थापित की जाती है। चालू वित्त वर्ष के दौरान जिला में एक हाईटैक एंड मिनि डेयरी यूनिट (सामान्य) स्थापित की गई तथा पशुओं के बांझपन के ईलाज के लिए 8 कैंप लगाए गए।
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