सत्यखबर, दिल्ली
सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी बोली की आज जब हम मिल रहे है देश एक बहुत बड़े और घोर संकट से गुजर रहा है। यह एक कठिन चुनौती है लेकिन इसे हराने का हमारा संकल्प इससे भी मजबूत होना चाहिए।
Covid-19 Pandemic ने पूरे विश्व मे अनकही पीडा फैला दी है परन्तु साथ ही साथ भाईचारे की भावना और एकजुटता को मजबूत किया है। हमारे देश मे अब हमें हर उस व्यक्ति की मदद में संगठित होकर कार्य करना है, जो न केवल इस संकट से पीड़ित है, बल्कि कोरोना से पैदा हुए आर्थिक संकट का भी शिकार हुआ है।
राष्ट्रीय lockdown जरूरी हो सकता है, लेकिन जिस तरह से लागू किया गया, वो भी केवल कुछ घंटों के सुचना पर, उसने आम जनता को भारी दिक्कतें पैदा कर दीं। बिना रोज़मर्रा के साधनों की कमी के वजह से लाखों प्रवासी मजदूर अपने परिवार सहित सैकड़ों kilometre दूर अपने गाँवों की ओर जाने को मजबूर हो गए। लाखों मज़दूरों द्वारा पलायन के इस पीड़ादायक स्थिति ने हर दिल को दर्द पहुँचाया है। हम में से हर व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि उनकी इस तकलीफ़ को बांटे और जहां तक हो सके उनकी मदद करे। मैं उन सभी को दिल से धन्यवाद देती हूँ, जो उन्हें सहयोग दे रहे हैं। मैं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं, Civil Society और आम जनता का दिल से आभार भी व्यक्त करती हूँ।
उन्होने कहां की जहां तक Covid-19 virus की बात है, तो निरंतर और भरोसेमंद Testing के अलावा उसको रोकने का और कोई रास्ता नहीं है। वायरस से लड़ने का यही सबसे प्रभावशाली तरीका है। हमारे doctor, nurses, health workers को हर संभव सहयोग दिए जाने की आवश्यकता है। Personal Protection Equipment जैसे Hazmat Suit, N-95 Mask आदि भी उन्हें जल्द से जल्द युद्ध स्तर पर उपलब्ध कराए जाने चाहिए। Covid-19 के इलाज के लिए निर्धारित अस्पताल, Ventilator और Breathing Equipment तथा Isolation Bed भी उतने ही जरूरी हैं। सभी सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि वो सुनिश्चित करें कि बुनियादी ढांचे या तैयारी की कमी के वजह से एक भी व्यक्ति में कोरोना का शिकार न हो।
उन्होने कहा की मैं केंद्र सरकार से निवेदन करती हूँ कि वो निर्धारित अस्पतालों, beds की संख्या, Quarantine Testing की सुविधाओं और medical supply की जानकारी प्रकाशित करके आम जनता तक पहुंचाए।पिछले दिनों किसान की तैयार खड़ी फसल पर बेमौसम बारिश की मार पड़ी। आज के दिन फसल कटाई के लिए तैयार है। सब कुछ इंतजार कर सकता है, पर खेती नहीं। सब से पहले किसान की फसल की कटाई का इंतजाम और उसकी सही कीमत दिया जाना समय की मांग भी है और सरकार की ज़िम्मेदारी भी है। इसके साथ-साथ खरीफ फसल की बुवाई के लिए मार्गदर्शन, खाद, कीटनाशक दवाई, आसान कर्ज और अन्य input की व्यवस्था किया जाना भी जरूरी है। सरकार को इसे पहली priority मान कर काम करना चाहिए।
उन्होने कहा की मीडियम एवं स्माल स्केल व्यवसायों को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। उन पर Covid-19 महामारी की व्यापक मार पड़ी है। करोड़ों लोगों की रोजी रोटी जोखिम में पड़ गई है। सरकार को MSME’s के द्वारा इस स्थिति का सामना करने व इस संकट से उबरने के लिए उन्हें एक व्यापक मदद पैकेज देने की आवश्यकता है।
साथ ही उन्होने कहा हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि लगभग 90 फीसदी भारतीय असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जिन पर इस महामारी का गहरा व दूरगामी असर पड़ रहा है। इससे उत्पन्न आर्थिक संकट के चलते उनकी रोजी रोटी खत्म हो रही है। इस समय वो खाने-पीने की चीजों की कमी एवं स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध न होने के कारण कड़ी मुश्किल का सामना कर रहे हैं। हमें व सरकारों को उनका संपूर्ण सहयोग करना होगा। इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
मध्यम वर्ग भी इस महामारी के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक संकट से नहीं बच पाया। अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर्स में रोज़गार में कटौती, तनख्वाहों का कम हो जाना, पेट्रोल, डीज़ल एवं गैस के ऊँचे मूल्यों के कारण चारों ओर निराशा का माहौल है। दूसरी तरफ मध्यम वर्ग के कर्ज की EMI को तीन महीने आगे तो बढ़ा दिया गया, पर उन्हें ब्याज में छूट या फिर कोई राहत नहीं दी गई। ऐसे में मध्यम वर्ग के लोग इस संकट से मुकाबला कैसे करें? इसलिए मैं केंद्र सरकार से आग्रह करती हूँ कि वो एक काॅमन न्यूनतम राहत कार्यक्रम तैयार कर उसे लागू करे। इस काॅमन न्यूनतम राहत कार्यक्रम से उन अनेक समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी, जिनसे सब लोग पीड़ित हैं।
मैं कांग्रेस की सरकारों, आगे रहकर काम कर रहे संगठनों, हमारे नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से भी आग्रह करती हूँ, कि वो खुद आगे आएं और उन परिवारों को अपना सहयोग दें, जो सबसे अधिक जोखिम में हैं। हमें उनके लिए पर्याप्त आश्रय, भोजन एवं दवाइयों की व्यवस्था करने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे।
Covid-19 महामारी राजनैतिक सिद्धांतों, धर्म, जाति, उम्र या महिला-पुरुष में अंतर नहीं करती। हम आज जो रास्ता चुनेंगे, वो हमारे परिवार, पड़ोसियों, समाज व देश के भविष्य का निर्णय करेगा। हम इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं, समाज के सभी वर्गों, खासकर ग़रीबों व सबसे कमजोर वर्गों को किस प्रकार सुरक्षित करते हैं, उससे हमारे आगे आने वाली पीढ़ियों के सामने एक नया रास्ता व उदाहरण स्थापित होगा।
हम सब संगठित रहकर, इकट्ठे काम करके ही इस महामारी को हरा सकते हैं। आइये, इस रास्ते पर चलने का संकल्प लें।
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