सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – जिन बच्चों के हाथ में किताबें होनी चाहिए वे बच्चे इतनी भयंकर ठण्ड में सडक़ों पर दुकानदारों से कैंसर पीडि़तों की मदद के नाम पर चंदा एकत्रित कर रहे है और यह कार्य कोई ओर नहीं बल्कि उनके स्कूल के संचालक अपनी झूठी शान के लिए करवा रहे हैं। यह स्थिति तो तब है जब बच्चों के प्री बोर्ड एग्जाम सिर पर हैं और बच्चे दान के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। बच्चों के द्वारा चंदा वसूली की चर्चा पूरे नगर में आग की तरह से फैली हुई है और इस संबंध में अभिभावकों द्वारा नाम ना छापने की सूरत में ऐतराजों का सिलसिला शुरू हो गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चण्डीगढ़ की एक गैर सरकारी संस्था के हवाले से सफीदों के कई नीजि स्कूलों के प्रबंधकों ने अपने विद्यार्थियों को कैंसर पीडि़तों की मदद के नाम पर चंदा जुटाने का अभियान सौंपा है। अनेक स्कूलों के पास यह चंदा उगाही का प्रपत्र आया हुआ है लेकिन नगर के 2 प्रतिष्ठित स्कूलों के नामों की चर्चाएं शहर भर में आम हो गईं हैं।
मिली जानकारी के अनुसार स्कूल प्रबंधकों व स्कूल अध्यापकों ने 5वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को प्रपत्र देकर सडक़ों पर निकाल दिया है और कहा गया है कि इस प्रपत्र में 30 लोगों से कैंसर पीडि़तों की सहायता के नाम पर दानदाताओं की इच्छा के अनुसार चंदा राशी एकत्रित करके लाएं। स्कूल संचालकों व अध्यापकों के आदेशानुसार बच्चे नगर में चंदा एकत्रित कर रहे हैं। ओर तो ओर बच्चों ने अपने अभिभावकों पर भी स्कूल द्वारा जारी प्रपत्र को पूरा करवाने का दबाव बनाया जा रहा है। बच्चों के दबाव के आकर काफी अभिभावक भी इस अभियान में जुट गए हैं और अपने यार-दोस्तों के पास फोन करके बच्चों को उनके पास भेज रहे हैं और कुछ अभिभावक ऐसे भी है जिन्होंने नाम ना छापने की सूरत में दबी जुबान से विरोध करना भी शुरू कर दिया है।
इस पर ऐतराज करते हुए कई अभिभावकों को कहना था कि इस तरह से सफीदों में मोटी रकम जुटाए जाने का अनुमान है। सबसे अजीब बात यह भी है कि कैंसर नामक भयकंर बीमारी के नाम बच्चों के सामने प्रशंसा प्रमाण पत्र व विशेष पुरस्कार देने की पेशकश भी रख दी गई हैं। जो बच्चा अधिक राशी जुटाएगा उसे ये प्रशंसा प्रमाण पत्र व विशेष पुरस्कार देने की बात कही गई है। इस इनाम को पाने के लिए भी काफी बच्चे इस कार्य में जीजान से जुट गए हैं। अहम बात यह भी है कि इस तथाकथित धमार्थ कार्यक्रम की जानकारी शिक्षा विभाग के किसी अधिकारी को नहीं है।
क्या कहते हैं खंड शिक्षा अधिकारी?
इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी डा. नरेश वर्मा ने कहा कि ऐसा कतई जायज नहीं है। उनको व विभाग को इस चंदा उगाही की कोई जानकारी नहीं है। वे इस सारे मामले की जानकारी हासिल करेंगे।
क्या कहते हैं संस्था के पदाधिकारी
स्कूलों को साथ लेकर यह दान राशी जुटाने वाली संस्था हयूमन एलायंस फाऊंडेशन के प्रतिनिधि अश्वनी कुमार ने बताया कि उनकी संस्था 4 वर्ष पुरानी है और उन्होंने हरियाणा प्रदेश के कई जिलों के स्कूलों में कैंसर जागरूकता शिविर आयोजित किए हैं और वे कैंसर पीडि़तों व उनके आश्रितों की मदद का काम ऐसी राशी से करते हैं। अश्वनी ने बताया कि अंबाला जिला में उनकी संस्था ने 2 कैंसर जागरूकता शिविर आयोजित किए जिनमें 200 से 250 लोगों का प्रारंभिक परिक्षण किया गया और उनमें 2 लोगों को कैंसर पीडि़त होने के संदेह में पाया गया।
उन्होंने बताया कि जिला करनाल में कैंसर रोग से चल बसी एक महिला, जिसका पति किसी अपराध के कारण जेल में बंद है कि 2 बेटियों को 11 हजार रूपए की सहायता शिक्षा के लिए दी गई है और अब उन्होंने कैथल व जींद जिला में सेवा करने का काम हाथ में लिया है। अश्वनी ने माना कि समाज में कैंसर पीडि़तों की संख्या चिंताजनक है लेकिन उनके शिविरों में हुई जांच में ज्यादा रोगी नहीं पाए गए।
क्या कहते हैं अभिभावक एवं समाजसेवी
संस्था कौशिश के प्रतिनिधि विनोद कौशल ने अश्वनी के वकत्व्य पर चिंता की मुद्रा में हास्यास्पद टिप्पणी करते हुए कहा कि उक्त संस्था के प्रतिनिधि की बात से इस गंभीर मामले की स्थिति सपष्ट हो गई है। अब संबंधित प्रशासन के अधिकारियों को कुछ ऐसा सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी धर्मार्थ गतिविधि के नाम पर विद्यार्थियों व अभिभावकों का शोषण ना हो।
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