सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – आर्य समाज सफीदों के तत्वावधान में आर्य समाज मंदिर में स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य पं. गुरुदत्त विद्यार्थी की जयंती मनाई गई। इस मौके पर मंदिर प्रांगण में आर्य समाज के धर्माचार्य कमलेश शास्त्री के सानिध्य व आर्य महिला विंग की मौजूदगी में विशाल यज्ञ करके उस महान पुरुष को याद किया गया। अपने संबोधन में धर्माचार्य कमलेश शास्त्री ने कहा कि पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी महर्षि दयानंद सरस्वती के महान शिष्यों में एक थे।
गुरुदत्त विद्यार्थी का जन्म 26 अप्रैल 1864 में हुआ था। 26 वर्ष की अल्पआयु में ही उनका देहांत हो गया किंतु उन्होंने इस अल्प समय में ही अपनी विद्वता की अमिट छाप छोड़ी और अनेक विद्वत्तापूर्ण ग्रंथों की रचना की। विज्ञान के विद्यार्थी होने के कारण वे हर चीज को विज्ञान की कसौटी पर कसकर देखते थे। उनके इस स्वभाव के कारण उनका व्यवहार नास्तिक हो गया था।
कुछ समय बाद वे आर्य समाज के संपर्क में आए और 1883 में जब स्वामी दयानंद सरस्वती रुग्ण हुए तो लाहौर से दो लोगों को उनकी सेवा के लिए भेजा गया जिसमें गुरुदत्त विद्यार्थी भी थे। उसके बाद गुरूदत्त विद्यार्थी ने आर्य समाज और देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। इस महान देशभक्त के जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
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