सत्य खबर, सफीदों, महाबीर मित्तल: माता चंदन देवी आर्य कन्या गुरुकुल पिल्लूखेड़ा के संचालक स्वामी धर्मदेव महाराज ने दावा किया है कि जिन-जिन गांवों में यज्ञ यात्रा निकली है, वहां पर किसी की भी कोरोना महामारी से मौत नहीं हुई है। अपने दावे को प्रमाणिक करने के लिए स्वामी धर्मदेव ने कई गांवों के लोगों के नंबर भी जारी किए हैं। स्वामी धर्मदेव ने कहा कि यज्ञ ऋषि-मुनियों की प्राचीन परंपरा और भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर तथा सृष्टि का सबसे पहला सैनिटाइजर है। जिसे खोकर व भौतिक संसार की चकाचौंध में फंसकर मनुष्य प्रकृति के साथ खिलवाड़ करके अपने आप को संकट में डाल रहा है। यज्ञ परंपरा को पुन: जीवित रखते हुए कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए कोरोनो भगाओं-यज्ञ रचाओं यात्रा निकाली गई थी और इस यात्रा के समाज में सुखद परिणाम सामने आए है।
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उन्होंने बताया है कि यज्ञ का प्रभाव जानने के लिए अब तक जिन-जिन गांवों में यज्ञ व धूमनी यात्रा की गई, उन गांवों प्रधानों से संपर्क करके जानकारी हासिल की गई तो उन्होंने बताया कि यज्ञ यात्रा के बहुत ही लाभ व सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। ग्रामीणों ने उन्हे बताया है कि यज्ञ यात्रा के पश्चात उनके-उनके गांवों में किसी भी व्यक्ति की कोरोना संक्रमण से मौत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि समाज को कोरोना महामारी व संक्रमण से मुक्त करने के लिए आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा, आर्य समाज सफीदों व माता चंदन देवी आर्य कन्या गुरुकुल पिल्लूखेड़ा के संयुक्त तत्वावधान और उनकी अध्यक्षता में गांव दर गांव यज्ञ व धूमनी यात्रा निकाली गई। कोरोना संक्रमण को समाप्त करने के लिए विशेष प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों जैसे अगर, तगर, गूगल, गिलोय, लोबान, जटामांसी, चिरायता, जावित्री, जायफल व शक्कर के द्वारा तैयार की गई सामग्री व शुद्ध देसी घी का प्रयोग किया जा रहा है जिससे लोगों में अत्यंत लाभकारी प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। इस यात्रा के पश्चात गांव में किसी भी व्यक्ति की मौत कोरोना संक्रमण से नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इसकी सत्यता जानने के लिए गांव बुड्ढा खेड़ा, गांव पिल्लूखेड़ा, सफीदों, गांव भंभेवा, गांव कुरड़, गांव पाथरी, गांव रामनगर, गांव पाजू खुर्द, गांव रत्ताखेड़ा व गांव मुआना के जिम्मेवार लोगों से जानकारी हासिल की जा सकती है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे वैदिक संस्कृति की तरफ लौटे और अपने-अपने घरों में हर रोज यज्ञ करना दैनिक क्रियाओं में शामिल करें।
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