सत्य खबर,दिल्ली
पिछले कई माह से हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर चला हुआ है। हाईकमान से मिलने कई नेता पहुंच चुके हैं। वहीं बुधवार को दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर हलचलें तेज हो गई हैं । सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की रेस में उदय भान का नाम आगे चल रहा है। उदय भान अपने कार्यकर्ताओं के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।
उदय भान को भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुलाकात के लिए बुलाया है। वे थोड़ी ही देर में दिल्ली पहुंच जाएगें. उदयभान हुड्डा खेमे के नेता माने जाते हैं । भूपेंद्र हुड्डा ने ही पार्टी हाईकमान को उनका नाम सुझाया था । उदय भान और हुड्डा बुधवार दोपहर पलवल भी जाएंगे। माना जा रहा है कि दीपेंद्र हुड्डा थोड़ी ही देर में सोनिया गांधी से मिल सकते हैं। फिलहाल दीपेंद्र हुड्डा अभी अपने दिल्ली आवास पर मौजूद हैं. दीपेंद्र हुड्डा के साथ उनके पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी दिल्ली में मौजूद हैं ।उदय भान देश की ‘आया राम, गया राम’ राजनीति के जनक स्वर्गीय चौधरी गया लाल के बेटे हैं। उदय भान पलवल जिले के होडल व हसनपुर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं। वहीं उदय भान के पिता स्वर्गीय चौधरी गया लाल भी दो बार विधायक रह चुके हैं । 2019 के विधानसभा चुनाव में उदय भान हार गए थे ।
नूह में प्रवेशिका शिविर का आयोजन
इसके अलावा बीते मंगलवार को ही कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई ने संगठन के महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की। वेणुगोपाल से मुलाकात के बाद कुलदीप बिश्नोई मीडिया के सामने जब आए तो भी काफी कॉन्फिडेंस से भरे हुए दिखाई दे रहे थे। जिसके बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि या तो उन्हें पार्टी अध्यक्ष बना सकती है या फिर नेता प्रतिपक्ष, लेकिन असल में पार्टी के अंदर क्या चल रहा है? इसका खुलासा तो तब होगा जब पार्टी नए अध्यक्ष का नाम घोषित करेगी । फिलहाल जो निकलर सामने आ रहा है वो है कि पूर्व उदय भान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा नेता प्रतिपक्ष रहेंगे ।
यहां यह भी बताने लायक है कि युवा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद पर वोटिंग में भी हुड्डा खेमे के दिव्वाशु बुद्विराजा ने जीत दर्ज की थी। इसलिए ज्यादा उम्मीद उदय भान की है। दरअसल विपक्ष में होने के नाते प्रदर्शनों में दोनों प्रदेशाध्यक्षों का साथ चलना जरूरी है तथा ये तभी संभव है जब दोनों एक ही खेमे से हों।
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