सत्यखबर, जींद
हरियाणा में लकड़ी आधारित 765 फर्मों को औद्योगिक इकाइयां चलाने के लिए वन विभाग द्वारा बनाई गई पॉलिसी पसंद नहीं आई। लाइसेंस और पंजीकरण की मंजूरी के बावजूद दो-तीन साल से बकाया शुल्क जमा नहीं कर रही इन फर्मों द्वारा जमा कराए गए करोड़ों रुपये अब महकमे ने जब्त कर लिए हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने इस संबंध में लिखित आदेश जारी किए हैं। वन विभाग ने वर्ष 2017 और 2018 में लकड़ी आधारित उद्योगों के लाइसेंस देने के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। इसके तहत वुड इंडस्ट्री में शामिल लोगों को दस श्रेणियों आरा मिल, विनियर मिल, प्लाइवुड, एमडीएफ/एचडीएफ बोर्ड यूनिट, पार्टिकल बोर्ड यूनिट, एमडीएफ/एचडीएफ व पार्टिकल बोर्ड यूनिट, कत्था यूनिट, एकल चिप्पर मशीन, एकल स्लाइसर और एकल प्रेस लगाने का मौका दिया गया।
पहले साल दो हजार 622 और दूसरे साल 935 फर्मों ने वुड इंडस्ट्री के लिए आवेदन किया। कुल तीन हजार 557 आवेदनों में से 604 फर्मों का आवेदन अधूरी सूचनाओं के चलते रद कर दिया गया था। इसके बाद कुल दो हजार 953 फर्मों को 80 फीसद बकाया राशि और लाइसेंस फीस जमा करने के लिए ऑफर पत्र जारी कर दिए गए। इन फर्मों में से दो हजार 188 फर्मों ने पूरा पैसा जमा कर लाइसेंस ले लिए, जबकि 765 फर्मों ने कई नोटिसों के बावजूद बकाया शुल्क और लाइसेंस फीस जमा नहीं कराई। इस पर मुख्य वन संरक्षक ने इनके द्वारा अभी तक जमा कराई पूरी राशि जब्त करने के आदेश जारी कर दिए।
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