सत्यखबर,हरियाणा
हरियाणा में बेरोजगारी को लेकर सेंटर फार मानिटरिंग आफ इंडियन इकानामी के आंकड़ों पर सियासत गरम होती दिखाई दें रही है। जहां कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा में बेरोजगारी की दर 29.10 फीसद होने और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 41.80 फीसद पहुंचने का दावा किया तो वहीं गृह मंत्री अनिल विज और शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने सीएमआइई की वैधानिकता पर ही सवाल उठा दिए।
बुधवार को वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में सुरजेवाला ने कहा कि हजारों पदों की भर्ती प्रक्रिया को जानबूझकर वर्षों तक लटकाया गया है। हजारों पदों की भर्ती प्रक्रिया बाद में रद्द कर दी गईं।
उन्होंने कहा कि मौजूदा गठबंधन सरकार पहले तो नौकरियां निकालती ही नहीं है। फिर सालों तक विज्ञापित नौकरियों की लिखित परीक्षा और इंटरव्यू लिए नहीं जाते है। परीक्षा या इंटरव्यू होने के बावजूद रिजल्ट निकालने के बजाय भर्तियां रद कर दी जाती हैं।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रदेश में 1983 पीटीआइ अध्यापक दस वर्ष काम करने के बाद आज सड़कों पर हैं। ग्रुप डी में खेल कोटे से 1,518 युवाओं को पहले भर्ती कर लिया तथा बाद में उन्हें अयोग्य करार दे दिया। वर्ष 2006 में भर्ती 816 आर्ट एंड क्राफ्ट अध्यापकों को भी लगभग दस साल बाद नौकरी से निकाल दिया गया। सुरजेवाला ने कहा कि प्रदेश में पेपर माफिया हावी है। ढाई साल बीत जाने के बाद भी कैश फार जाब घोटाले की जांच नहीं हो पाई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि एचटेट परीक्षा, क्लर्क, एक्साइज इंस्पेक्टर, एचसीएस ज्यूडिशियल, कंडक्टर, पटवारी, नायब तहसीलदार, आइटीआइ इंस्पेक्टर, बिजली बोर्ड परीक्षा सहित अनेकों परीक्षाओं के पेपर लीक हुए, परंतु दोषी आज तक नहीं पकड़े गए। पिछले सात साल में दस हजार कच्चे-पक्के कर्मचारियों को निकाला जा चुका है।
तो वहीं सुरजेवाला के आरोपों पर पलटवार करते शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि सीएमआइई एक राजनीतिक दल से जुड़ी हुई संस्था है, इसलिए सरकार इसके आंकड़ों को ज्यादा महत्व नहीं देती।
वहीं, सुरजेवाला द्वारा प्रदेश में दवा गुल और शराब फुल के आरोपों पर गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि उन्होंने दारू का पता किया होगा, दवाई का पता ही नहीं किया। उन्होंने कहा कि मुश्किल से मुश्किल समय में हमने कोरोना मरीजों को दवाइयां मुहैया कराई हैं। ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए हम कहीं से भी लाकर दें, दवाई दे रहे हैं। सुरजेवाला राजनीति न करें।
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