सत्यखबर, चंडीगढ़
हरियाणा में मानसून में अचानक गिरावट आ गई है. जिसे लेकर मौसम वैज्ञानिक भी चितिंत हैं. अनुमान है कि हरियाणा में मानसून की गतिविधि में और भी कमी आएगी. प्रदेश में 15 दिन तक सिर्फ हल्की बूंदाबांदी हो सकती है।मौसम विभाग की माने तो भारत के गंगीय मैदानी इलाकों के निचले पहाड़ी इलाकों को छोड़कर अधिकतर हिस्सों में मानसून की धारा कमजोर चरण में प्रवेश करेगी. जिसके परिणामस्वरूप अधिकतर हिस्सों में मौसमी गतिविधि धीमी हो जाएगी. जब तक प्रशांत क्षेत्र में यह गतिविधियां कम नहीं हो जाती, तब तक किसी भी नए मानसूनी निम्न दबाव के क्षेत्र के बनने की संभावना नहीं है. इसमें 7-10 दिन लग सकते हैं. और अगस्त के शुरूआती 15 दिनों तक ‘ब्रेक मानसून’ की स्थिति बन सकती है।
इस दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर भारत की तलहटी में भारी बारिश होने की संभावना है. देश में कमजोर मानसून की स्थिति के कारण अधिकांश हिस्सों में कम बरसात दर्ज की जाएगी।पश्चिमी प्रशांत महासागर के विभिन्न हिस्सों पर उष्णकटिबंधीय तूफान से बने हुए हैं. हालांकि, जून से सितंबर साइक्लोजेनेसिस के लिए सबसे सक्रिय अवधि है. जिसमें अकेले अगस्त में बेहद सक्रियता देखी गई है.
यह अवधि भारतीय दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के साथ भी मेल खाती है. उत्तरी गोलार्ध में गर्मी के मौसम के दौरान मई का महीना सबसे कम सक्रिय होता है. पश्चिम प्रशांत क्षेत्र वर्तमान में चारउष्णकटिबंधीय तूफानों, जो अपने जीवन चक्र के विभिन्न चरणों में हैं, की मेजबानी कर रहा है. मौसम विभाग के मुताबिक इस समय पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ये सभी मौसम प्रणालियां काफी मजबूत हो जाती हैं और मानसून मौसम के दौरान अक्सर आंधी-तूफान की ओर बढ़ जाती हैं।
ये तूफान बंगाल की खाड़ी तक पहुंचते हुए मीलों दूर तक हवा के बहाव को प्रभावित करते हैं. इन तूफानों की उपस्थिति भारतीय उपमहाद्वीप पर सक्रिय मानसून की स्थिति को हमेशा दबा देती है. उनकी उपस्थिति भारतीय समुद्रों में मानसून प्रणालियों के निर्माण को भी रोकती है. इनमें से कुछ तूफान वियतनाम, लाओस, कंबोडिया, थाईलैंड और म्यांमार को पार करने के लिए पश्चिम की ओर बढ़ते हैं और कमजोर सिस्टम के रूप में बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करते हैं. वे डिप्रेशन में मजबूत होने और मानसून की धारा को सक्रिय करने के लिए खुले पानी में फिर से उभर आते हैं।
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