सत्य खबर
उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़ित लड़की की मौत के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात की है। मोदी ने कहा है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। योगी ने खुद ट्वीट कर यह जानकारी दी है।
14 सितंबर को गैंगरेप की शिकार हुई दलित लड़की ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मंगलवार तड़के दम तोड़ दिया। पुलिस लड़की के शव को लेकर मंगलवार रात 12:50 बजे उसके पैतृक गांव पहुंची, लेकिन घरवालों को लाश नहीं सौंपी। आखिरी बार बेटी का चेहरा देखने के लिए माता-पिता और भाई तड़प उठे, लेकिन परिवार वालों की एक नहीं सुनी गई और रात 2:30 बजे लाश जला दी।
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पुलिस पर आरोप है कि अंतिम संस्कार के दौरान पीड़ित परिवार के एक भी सदस्य को मौजूद नहीं रहने दिया, बल्कि पुलिस ने खुद ही लाश जला दी। इस मामले को लेकर गांव में तनाव है। पीड़ित परिवार के समुदाय के लोग हाथरस की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, पुलिस और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।
प्रियंका गांधी की मांग- मुख्यमंत्री इस्तीफा दें
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा, “रात को 2.30 बजे परिजन गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन हाथरस की पीड़ित के शरीर को प्रशासन ने जबरन जला दिया। जब वह जीवित थी, तब सरकार ने उसे सुरक्षा नहीं दी। जब उस पर हमला हुआ तो सरकार ने समय पर इलाज नहीं दिया। योगी आदित्यनाथ इस्तीफा दो।”
अपडेट्स
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 सदस्यों की एसआईटी बनाकर 7 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। एसआईटी के अध्यक्ष गृह सचिव भगवान स्वरूप बनाए गए हैं। डीआईजी चंद्रप्रकाश और आगरा पीएससी की सेनानायक पूनम भी इसमें शामिल हैं। पूनम खुद भी एससी वर्ग से हैं।
- दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर अपील की है कि इस मामले में लापरवाह अफसरों पर तुरंत कार्रवाई हो और दुष्कर्म करने वालों को कड़ी सजा दी जाए।
- दुष्कर्म की शिकार हुई लड़की के भाई का कहना है कि परिवार को सुरक्षा दी जाए। प्रशासन दबाव डाल रहा है। लोकल पुलिस पर भरोसा नहीं है, न्यायिक जांच होनी चाहिए। दोषियों को फांसी दी जाए।
- प्रशासन का कहना है कि परिवार की मर्जी के बिना रात में शव जलाने की बात गलत है। लड़की के पिता और भाई ने सहमति दी थी।
परिजन और पुलिस के बीच झड़प
रात को जब पीड़ित का शव एंबुलेंस से गांव लाया गया तो परिवार वालों ने हंगामा शुरू कर दिया। वे शव सौंपने की मांग कर रहे थे, लेकिन प्रशासन अंतिम संस्कार की जल्दबाजी में था। परिवार वाले एंबुलेंस के सामने भी लेट गए। इस दौरान प्रशासन और ग्रामीणों के बीच झड़प भी हुई। आरोप है कि एडीएम ने परिवार वालों से बदसलूकी की। परिवार वाले रात में अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते थे, लेकिन शव को जबरन जला दिया गया। इस दौरान मीडिया को भी दूर रखा गया। लाश जलाने में पेट्रोल का इस्तेमाल करने की आशंका जताई जा रही है।
परिजन का सवाल- एम्स की बजाय सफदरजंग क्यों ले गए?
पीड़ित के भाई ने कहा, “बहन को अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज से दिल्ली एम्स रैफर किया गया था, लेकिन उसे सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया गया। अगर सही वक्त पर इलाज मिल गया होता तो बहन जिंदा होती।”
पूरा मामला क्या है?
आरोपों के मुताबिक हाथरस जिले के थाना चंदपा इलाके के एक गांव में 14 सितंबर को चार लोगों ने 19 साल की दलित युवती से दुष्कर्म किया था। वारदात के बाद आरोपियों ने पीड़ित की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ काट दी। दिल्ली में इलाज के दौरान पीड़ित की मौत हो गई। इस मामले में चारों आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हालांकि, पुलिस का दावा है कि गैंगरेप और जीभ काटने के आरोप गलत हैं।
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