सत्यखबर
हिमालय के ग्लेशियर पिघलने से साउथ एशिया के ऊपर काफी गंभीर खचरा मंडरा रहा है। हिमालय बार बार खतरे का अलार्म बजाता है लेकिन सरकारों के पास हिमालय को लेकर कोई ठोस उपाय नहीं है। क्योंकि इतना तो साफ है कि अगर हिमालय किसी दिन अपना प्रकोप दिखाना शुरू करेगा तो उसकी तबाही को रोकना इंसानों के वश की बात नहीं होगी।
हिमालय से ग्रीनलैंड तक ग्लेशियरों के पिघलने से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान पर काफी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में आई आपदाओं को देखकर समझा जा सकता है कि हिमालय ने किस तरह की चेतावनी दी जा रही है लेकिन सरकारें इस खतरे से निपटने के लिए कोई कोशिश करती नजर नहीं आ रही है।
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रिपोर्ट के मुताबिक हिमालय के पेट में दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा बर्फ जमा है, जो काफी तेजी से पिघल रही है। ग्लोबल वार्मिंक की वजह से हिमालय पर बिछी बर्फ की चादर तेजी से पतली हो रही है, जिसकी चपेट में भारत, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान के कई शहर डायरेक्ट आ सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक 1975 की तुलना में 2016 तक हिमालय क्षेत्र का टेम्परेचर एक डिग्री बढ़ चुका थी, जिसकी वजह से बर्फ लगातार तेजी से पिघलना शुरू हो गया था। पिछले 40 सालों में हिमालय पर मौजूद ग्लेशियरों ने अपना एक चौथाई घनत्व खो दिया है और हिमालय पर मौजूद बर्फ में लगातार टूट-फूट हो रही है।
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