सत्यखबर, दिल्ली
हरियाणा में चल रही उठापटक के बीच दो सीटें ऐलनाबाद व कालका खाली हो जाने से विधानसभा में विपक्ष का संख्या बल और घट गया है। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने ही तैयारियों को झटका लगा है। दो सीटें खाली हो जाने के बाद वर्तमान में हरियाणा विधानसभा में कुल 88 विधायक रह गए हैं। मनोहरलाल सरकार को बहुमत के लिए 45 विधायकों का समर्थन चाहिए। उसके पास अभी 56 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में सरकार को कोई खतरा नहीं दिख रहा है।
फिलहाल अभी के समीकरण को देखें तो साफ है कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली सरकार सेफ जोन में पहुंच गई है और हुड्डा द्वारा सरकार के विरुद्ध लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव के खास असर नहीं होगा। हुड्डा अपने विधायकों के बूते अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं तो वह सरकार को नहीं हिला सकेंगे। उनके द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव से सिर्फ इतना पता जरूर चल जाएगा कि तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों की असली सोच क्या है।
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बता दे की हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में अब ऐलनाबाद व कालका दो सीटें खाली हो गई हैं। इनेलो विधायक अभय चौटाला के अपनी सीट से इस्तीफा देने की वजह से यह सीट खाली हुई, जबकि इनेलो छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते प्रदीप चौधरी को तीन साल की सजा मिलने के कारण स्पीकर ने कालका सीट को खाली घोषित किया है। अब 88 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 46 की बजाय 45 विधायकों की जरूरत है। स्पीकर के वोट को यदि छोड़ दिया जाए तो भाजपा को सिर्फ 44 विधायक दिखाने हैं
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