10 year old beggar child turns to be a millionaire
सत्य खबर ,देहरादून। दस साल ही तो उसकी उम्र थी. इसमें भी चार साल से वह दाने दाने को मोहताज था. बचपने में कोरोना ने मां को छीन लिया. अब जीवन का कोई सहारा ना दिखा तो भीख मांगनी शुरू कर दी. दिन भर चौराहों पर भीख मांगता और रात में वहीं सड़क के किनारे सो जाता. यही उसकी दिनचर्या थी. लेकिन अब उसे पता चला कि वह करोड़ों की संपत्ति का मालिक है तो एक बार तो खुद उसे भी विश्वास नहीं हुआ. लेकिन परिजनों के समझाने में वह घर लौट आया है. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि उत्तराखंड में देहरादून के पास कलियर के चौराहे पर भीख मांगने वाले एक दस साल के बच्चे की हकीकत है.10 year old beggar child turns to be a millionaire
बच्चे की पहचान उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में गांव पंडोली में रहने वाली इमराना के बेटे शाहजेब के रूप में हुई है. इमराना के पति मोहम्मद नावेद की मौत पहले ही हो चुकी है. 2019 में इमराना की भी कोरोना की चपेट में आने से मौत हो गई. इमराना पति की मौत के बाद से ही यहां कलियर में अपने छह साल के बेटे शाहजेब के साथ आकर रह रही थी. इसके बाद शाहजेब के आगे पीछे कोई नहीं था. ऐसे में वह भीख मांगकर गुजारा करने लगा. इस प्रकार चार साल बीत गए. इसी दौरान उसके एक रिश्तेदार ने उसे पहचान लिया और घर वालों को सूचना दी. इसके बाद घर वाले उसे गांव वापस ले गए हैं. बताया कि इस बच्चे के नाम उसके दादा ने मरने से पहले अपने पुश्तैनी मकान के अलावा पांच बीघा जमीन व अन्य जायदाद कर रखी है.
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ससुरालियों से नाराज होकर इमराना ने छोड़ा था घर
परिजनों के मुताबिक पति नावेद की मौत के बाद इमराना अपने ससुराल में अकेली पड़ गई थी. इसी बीच कई बार उसे ससुराली तंग भी करने लगे थे. ऐसे में परेशान होकर वह अपने बेटे के साथ घर छोड़ दिया और कलियर में आकर रहने लगी. यहां वह छोटा मोटा कामकर अपना जीवन गुजारने लगी. लेकिन जिंदगी के इस सफर में कोरोना ने उसका भी रास्ता रोक लिया.
दादा ने आधी संपत्ति का बनाया था वारिस
भले ही इमराना घर छोड़ कर चली गई थी, लेकिन उसके ससुर मोहम्मद याकूब को भरोसा था कि उनका पोता जरूरी लौटेगा. मोहम्मद याकूब के दो बेटे थे. बड़े नावेद की तो पहले ही मौत हो गई थी. वहीं इमराना भी घर छोड़ कर चली गई थी. बावजूद इसके याकूब ने मरने से पहले अपनी संपत्ति दोनों बेटों में बांटी और बड़े बेटे के हिस्से की संपत्ति पोते के नाम कर दी. उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा कि उनका पोता एक दिन जरूर वापस आएगा.10 year old beggar child turns to be a millionaire
वाट्सग्रुप के जरिए हुई तलाश
शाहजेब के परिजनों ने उसके दादा की मौत के बाद उसकी तलाश शुरू कर दी थी. इसके लिए रिश्तेदारों और पहचान वालों का एक वाट्सऐप ग्रुप बनाया. इसमें शाहजेब की छह साल की उम्र वाली फोटो डाल दी. इसी ग्रुप में शाहजेब का एक दूर का रिश्तेदार मोबीन भी था. गुरुवार को वह किसी काम से कलियर आया था. यहां उसने शाहजेब को देखा तो उसे शक हुआ. उसने तुरंत वाट्सग्रुप के फोटो से उसके चेहरे का मिलान किया और उसका नाम पता पूछा. सबकुछ ठीक बताने पर मोबीन ने ही उसके परिजनों को सूचित किया. इसके बाद परिजन आकर उसे सहारनपुर वापस ले गए हैं.
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