सत्य खबर, सोनीपत । कृषि कानूनों के विरोध में किसान लगातार 1 साल से दिल्ली के बॉर्डरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं¥ एक साल तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद सोमवार को लोकसभा में तीनों कृषि कानून वापसी बिल भी पास हो गया है. वहीं सोमवार को ही सोनीपत-कुंडली बॉर्डर पर पंजाब की 32 जत्थेबंदियों की बैठक हुई. इस बैठक में आंदोलन की अन्य मांगों को लेकर चर्चा की गई. पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक के बाद किसान नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार ने संसद में तीनों कृषि कानून रद्द कर दिए हैं. अब संयुक्त किसान मोर्चा ने 1 दिसंबर को इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है. 1 दिन सरकार को दिया गया है ताकि हमारी सभी मांगें मानी जाए. 1 दिसंबर को 11 बजे बैठक शुरू होगी. आंदोलन अभी जारी रहेगा। आंदोलन की अगली रणनीति अगली बैठक में तय होगी। बता दें कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद किसान नेताओं की बैठकों का दौर जारी है. 27 नवंबर को भी सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने एक अहम बैठक कर 29 नवंबर को होने वाले संसद ट्रैक्टर मार्च को टाल दिया था इसके अलावा 4 दिसंबर को एक बार फिर अन्य मुद्दों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक की घोषणा की थी. लेकिन अचानक इस बैठक की तारीख बदलकर 1 दिसंबर कर दी गई है ।
पंजाब की जत्थेबंदियों की बैठक के दौरान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार ने लोकसभा में तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है, किसानों की यह बड़ी जीत है. हम सभी किसान संगठन के नेताओं और किसानों को इसकी बधाई देते हैं कि उन्होंने आखिरकार लंबे समय चले इस आंदोलन को जीत लिया. हमने सरकार को खुली चिट्ठी लिखी है कि एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए. किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर हुए मुकदमे वापस लिए जाएं. लखीमपुर खीरी की घटना में शामिल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त किया जाए और अन्य जो हमारी छोटी-मोटी मांगे हैं उनको जल्द से जल्द पूरा किया जाए. जिससे हमारा आंदोलन खत्म हो और हम अपने घरों को वापस लौट सकें।
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