सत्य खबर, मास्को
भारतीय सेना के लिए काफी अच्छी खबर है। आने वाले 6 महीनों के भीतर उसे 70,000 अत्याधुनिक एके-203 एसॉल्ट राइफल मिल जाएंगे। हालांकि, उसकी जरूरत का यह एक छोटा सा हिस्सा है, लेकिन एके-47 के अपग्रेड वर्जन होने की वजह से यह काफी बेहतरीन और उसके मुकाबले कहीं ज्यादा सक्षम है। कुल मिलाकर रूस कुल एक लाख एके-203 तैयार करके भारत को देने जा रहा है और बाकी का निर्माण भारत में ही मेक इन इंडिया के तहत होना है। यही नहीं रूस भारत को लाइटवेट मल्टी-रोल मिलिट्री हेलीकॉप्टर भी तैयार करके देगा, जो भारतीय जरूरतों के मुताबिक अपग्रेड किया गया है और उसे एक ही पायलट उड़ा सकता है। बता दें कि एके-203 एसॉल्ट राइफल तैयार करने की एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट यूपी की अमेठी में पहले ही लॉन्च की जा चुकी है, जहां बाकी राइफल तैयार होने की उम्मीद है।
70,000 एके-203 की सप्लाई करेगा रूस आने वाले 6 महीनों में रूस भारत को 70,000 तैयार एके-203 एसॉल्ट राइफल की सप्लाई करेगा। मास्को में आर्मी 2021 के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है। एके-203, चर्चित एके-47 का लेटेस्ट वर्जन है। अत्याधुनिक एसॉल्ट राइफल इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम 5.56×45 एमएम एसॉल्ट राइफल की जगह लेगा। गौरतलब है कि भारतीय सेना को करीब 7,70,000 एके-203 एसॉल्ट राइफल की जरूरत है,जिसमें से सिर्फ 1,00,000 ही आयात किए जाने हैं और बाकी का निर्माण भारत में ही होना है। कलाशिनिकोव के अधिकारियों ने कहा है कि भारत को जो तैयार एसॉल्ट राइफल की खेप भेजे जा रहे हैं, वह उसे 1,00,000 निर्यात किए जाने वाले एसॉल्ट राइफल का ही हिस्सा होगा।
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6,70,000 एके-203 भारत में बनेंगे बता दें कि भारतीय सेना को एसॉल्ट राइफलों की यह आपूर्ति उसके मेगा इंफैंट्री मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम के तहत ही की जा रही है। गौरतलब है कि कलाशिनिकोव राइफल के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश की अमेठी में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की लॉन्चिंग करीब ढाई साल पहले ही हो चुकी है। इसकी शुरुआत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में 3 मार्च, 2019 को किया था। करीब 6,70,000 एके-203 एसॉल्ट राइफल का जो निर्माण मेक इन इंडिया के तहत भारत में होना है, वह इन्हीं मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में किए जाने हैं।7.62 एमएम का एसॉल्ट राइफल है एके-203 गौरतलब है कि एके-203, 7.62 एमएम का एसॉल्ट राइफल है, जिसे और भी बेहतर बनाया गया है। इसमें बेहतरीन तकनीकी सुधार किए गए हैं, जिससे कि न सिर्फ इसकी सटीकता बेहतर हुई है, बल्कि इसके बैरल की उम्र भी काफी बढ़ गई है।
इसकी मैगजीन, इसकी पिस्टल ग्रिप सभी में काफी सुधार किया गया है, जिससे इसे चलाना और भी सुविधाजनक हुआ है और किसी भी स्थिति में यह ऑपरेशन के लिए पूरी तरह से तैयार रहता है।कामोव-226 टी क्लाइंबर हेलीकॉप्टरों में बदलाव इसके अलावा रूस भारत की जरूरत के मुताबिक कामोव लाइटवेट मल्टी-रोल मिलिट्री हेलीकॉप्टरों को भी अपग्रेड करके देगा। रूस के मुताबिक उसने भारत के अनुरोध पर यह निर्णय लिया है। रशियन हेलीकॉप्टर ने कहा है कि भारत ने उसे अपनी जो आवश्यकता बताई थी, उसी के मुताबिक उसने कामोव-226 टी क्लाइंबर हेलीकॉप्टरों में बदलाव किया है, जो भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल हो। रशियन हेलीकॉप्टर की ओर से वैसिली ग्रिडिन ने कहा है, ‘तकनीकी बदलाव विशेष अनुरोध पर किए गए हैं, ताकि इसे एक ही पायलट संचालित कर सके।’
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