सत्यखबर, हरियाणा
भारतीय किसान यूनियन के स्टार प्रचारक भजन सिंह शुक्रवार शाम पहली बार टिकरी बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने सोशल मीडिया पर लाइव होकर वहां के हालात बयां किए। उन्होंने किसान युवा नेता बबलू मिर्चपुरिया के साथ आंदोलन की बड़ी खामियों से पर्दा उठाया। यहां तक कि किसान नेताओं पर भीड़ का दुरुप्रयोग करने की भी बात कही।पहली बार टिकरी बॉर्डर पर आया हूं, इससे पहले सिंघु बॉर्डर पर जरूर गया। यहां करीब 22-23 किमी एरिया में आंदोलन का पड़ाव है। यहां के आंदोलन का पूरा भ्रमण किया, हालात बहुत खराब हैं। भूखे पेट भजन न होए गोपाला।
भूखे पेट तो भगवान का नाम भी नहीं लिया जाता। भूखे पेट फौज भी जंग नहीं लड़ सकती है। यहां हालात भुखमरी के हो गए हैं। खाने को आटा नहीं बचा है। आंदोलन में सोनिया मान अपने स्वार्थ के लिए आई थीं, जो अब यहां से अपने टेंट को ताला लगाकर पंजाब लौट गईं और वहां जाकर अकाली दल ज्वॉइन कर लिया। किसान नेता कह रहे हैं कि आंदोलन को 2024 के चुनाव तक चलाएंगे, 2022 यूपी चुनाव तक चलाएंगे। नेताओं से अपील है कि अगर आंदोलन को इतना ही लंबा चलाना है तो खाने का उचित प्रबंध कराया जाए। लोग भूखे मर रहे हैं, इस वजह से टेंटों को ताला लगाकर अपने घर लौटने को मजबूर हो रहे हैं। भूखा आदमी तब तक ही हौसला बांधकर आंदोलन में शामिल रह सकता है, जब उसे पता हो कि आखिर उसे लड़ाई कब तक लड़नी है। मगर इस आंदोलन की कोई तय सीमा नहीं है।
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भजन सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 29 नवंबर को दिल्ली संसद कूच करने का आह्वान किया। इसमें हर बॉर्डर से 500-500 किसानों को कूच करने की बात कही गई। यह सिर्फ एक लॉलीपॉप है, जो अब बहुत हो चुका है। किसान नेताओं को कहना चाहूंगा कि अब कोई ठोस निर्णय लो। ऐसा कोई फैसला नहीं लिया तो 26 नवंबर को आंदोलन को एक साल पूरा होने के साथ इसकी श्रद्धांजलि हो जाएगी। मेरी सभी किसान आंदोलनकारियों से अपील है कि 500-500 लोगों के दिल्ली कूच करने की बजाय सभी किसान दिल्ली कूच करें। क्योंकि यह किसी राजनेता की बारात नहीं जा रही है कि इसमें गिने चुने ही आदमी होंगे। 29 नवंबर तक आंदोलन में मैं अपना पूरा सहयोग करूंगा। अगर 29 को कोई ठोस फैसला नहीं लिया तो आंदोलन से पीछे हट जाऊंगा। क्योंकि हमारी यूनियन की तरफ से तो इतना भी सहयोग नहीं है कि वे हमारी गाड़ियों में तेल ही डलवा दें। खाने का राशन पहुंचा दें।
मिर्चपुरिया ने कहा कि जब से आंदोलन चल रहा है, तब से जगह-जगह विरोध कर रहे 700 से ज्यादा किसानों की जान जा चुकी है। कई जगहों पर राजनेताओं का विरोध कर हजारों मुकदमे दर्ज करवा चुके हैं। किसान नेताओं से कहना चाहूंगा कि हमारी लड़ाई केंद्र सरकार से है, अगर वह लड़ाई लड़ते हैं तो लड़ लें, वरना बाकी सभी लड़ाई भी बंद करो। अब की बार सभी किसान यूनियन, सभी जत्थेबंदियां एकजुट हो जाएं और 29 नवंबर को दिल्ली संसद कूच करें। हालात बहुत खराब हो रहे हैं। जितना हमने जगह-जगह महापंचायत कर पैसा खराब किया, उससे क्या मिला। इतना पैसा यहां बॉर्डरों पर चल रहे आंदोलन में लगाते तो शायद यहां इतने हालत खराब न होते। किसान नेताओं से अपील है कि कोई ठोस फैसला लेकर दिल्ली कूच को, भीड़ का इधर-उधर प्रयोग न करें। किसान नेताओं से बॉर्डर खुलवा दिए, वह क्यों खुलवाए हैं। सरकार पर थोड़ा-बहुत जो दबाब था, वह भी खत्म हो गया है। इसका हमने विरोध किया तो हमें भाजपाई और संघी बता दिया ।
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