हरियाणा

गोल्डन गर्ल मनु भाकर में दिखे संस्कार, बड़ों के लिए कुर्सी छोड़ बैठी नीचे

फौगाट खाप ने किया विनेश, बबीता और मनु को सम्मानित

सत्यखबर, चरखी दादरी (विजय कुमार) – चरखी दादरी में कॉमनवेल्थ विजेता खिलाडिय़ों को फौगाट खाप द्वारा सम्मानित किया गया। समारोह में खाप पंचायतों व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विनेश, बबीता और मनु को सम्मानित किया। सम्मान समारोह में जहां सभी विजेता खिलाड़ी कुर्सी पर बैठे नजर आए वहीं प्रशासनिक अधिकारियों के आने के बाद गोल्डन गर्ल मनु भाकर ने अपने संस्कार दिखाते हुए कुर्सी से उठकर नीचे बैठ गई। मनु के पिता रामकिशन ने फोन पर बताया कि मनु भाकर ने बड़ों का सम्मान किया है इसलिए वे कुर्सी से उठ गई थी।

फौगाट खाप द्वारा मंगलवार को दादरी के स्वामी दयाल मंदिर में कामनवेल्थ में पदक विजेता खिलाडिय़ों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। खाप द्वारा विनेश, बबीता फौगाट व मनु भाकर को शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में उपायुक्त अजय सिंह तोमर, एसपी हिमांशु गर्ग व एसडीएम ओमप्रकाश देवराला के आने पर प्रशासनिक अधिकारियों को कुर्सियों पर बैठाया गया तो कुर्सियां कम पड़ गई। इसी दौरान मनु ने अपने संस्कार दिखाते हुए कुर्सी से उठी और अपनी मां सुबोधा के साथ नीचे बैठ गई।

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पदक विजेता बलाली बहनों का दर्द सामने आया

कार्यक्रम के बाद बलाली बहनें बबीता व विनेश फौगाट की दर्द भी सामने आया। बबीता फौगाट ने कहा कि उससे नीचे के खिलाडिय़ों को हरियाणा सरकार द्वारा डीएसपी बना दिया गया। लेकिन वह अब भी सब इंस्पेक्टर ही हैं। उम्मीद है उन्हें न्याय मिलेगा। सरकार द्वारा खिलाडिय़ों के नकद इनाम पर पेच फंसने पर विनेश ने रियक्शन दिया कि वह हरियाणा की निवासी है और हरियाणा के लिए ही खेली है। ऐसे में रेलवे व हरियाणा सरकार के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। अगर सरकार खेल नीति में संसोधन करती है तो यह अन्याय है। सरकार उन्हें हरियाणा में नौकरी दे तो वह हरियाणा में नौकरी करने को तैयार है।

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विनेश के अनुसार रियो में गहरी चोट लगी तो कामनवेल्थ के गोल्ड से वह नहीं भर सकता। डेढ वर्ष से स्ट्रॉग रहकर अच्छा रिजल्ट पाने के लिए घर नहीं आई। अब गोल्ड लेकर आई तो अच्छा लगा। मैच के दौरान उसने डबल लैग का स्ट्राक लगाकर गोल्ड जीता है। अब वह एशियन व वल्र्ड चैंपियनशीप की तैयारियों पर ध्यान देगी।

वहीं महावीर फौगाट ने बताया कि आस्ट्रेलिया में पहली बार बेटियों का मैच देखने गए थे। वहां पर टिकट नहीं मिलने के कारण बबीता के सुबह की शिफ्ट के मैच नहीं देख पाए। खिलाडिय़ों के कोच की टिकट की जिम्मेदारी होती है। हम अपने खर्चे पर आस्ट्रेलिया गए और मैच भी नहीं देख पाए। ऐसा होने से उनका हौंसला भी कम होता है।

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