सत्य खबर, चंडीगढ़
देश में किसानों के लिए ग्रीन रिवोल्यूशन लाने वाली कांग्रेस अब उनके लिए एवरग्रीन रिवोल्यूशन लाना चाहती है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा राजस्थान के उदयपुर में चल रहे नव-संकल्प चिंतन शिविर-2022 में किसान और खेती विषय पर गठित कमेटी की अध्यक्षता कर रहे हुड्डा आज पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इसमें उन्होंने किसानों को लेकर कांग्रेस के चिंतन व विजन के अहम बिंदुओं को साझा किया। उन्होंने बताया कि कमेटी ने किसानों की वर्तमान स्थिति में सुधार करने, उसके उत्पादन और आय में वृद्धि करने के विषय पर विस्तृत चर्चा की है और इस संबंध में देश भर के किसान संगठनों के सुझाव भी लिए हैं।
हुड्डा ने कहा कि किसानों की कर्ज माफी से उन्हें कर्ज मुक्ति तक पहुंचाना कांग्रेस का लक्ष्य है। सिर्फ कांग्रेस शासित राज्यों में किसानों को कर्ज माफी का लाभ मिला है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने किसानों के 15,602 करोड़, मध्यप्रदेश में 11,912 करोड़ रुपए, पंजाब में 4696 करोड़ और कर्नाटक में 22,548 करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए।
उन्होंने बताया कि पार्टी के चिंतन शिविर में ये सुझाव भी उभरकर सामने आया है कि किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलवाने के लिए राष्ट्रीय किसान ऋण राहत आयोग का गठन किया जाए। अगर कोई किसान अपना कर्ज चुकाने में सक्षम न हो सके तो उसकी जमीन की नीलामी नहीं होनी चाहिए और उसपर किसी तरह का आपराधिक मुकदमा नहीं चलना चाहिए। खेती-किसानी को भी इंडस्ट्री की तरह बैंकिंग रियायतों का लाभ मिलना चाहिए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि कांग्रेस में किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने पर आम सहमति है। तमाम किसान संगठनों, किसान नेताओं और आम किसानों ने कमेटी को ये सुझाव दिया है। साथ ही किसानों की मांग है कि उन्हें स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत एमएसपी मिलनी चाहिए। हुड्डा ने बताया कि मुख्यमंत्रियों के वर्किंग ग्रुप का चेयरमैन होने के नाते उन्होंने भी यही सिफारिश की थी।
हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस का मानना है एमएसपी को अब चंद फसलों तक सीमित ना रखकर किसान के हरेक उत्पाद पर लागू करना होगा। फसल डायवर्सिफिकेशन के लिए भी यह बेहद जरूरी है। किसानों को उसकी लागत पर लाभकारी मूल्य देने के साथ लागत पर नियंत्रण के लिए भी कदम उठाने होंगे। लागत को नापने के लिए अपनाया जाने वाला सीएसीपी का फार्मूला भी बदलने की जरूरत है।
हुड्डा ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों को लाभ पहुंचाने में कामयाब सिद्ध नहीं हो रही है। स्थिति यह है कि बीमा कंपनियां प्रिमियम ज्यादा ले रही हैं और किसानों को मुआवजा कम दिया जा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि बीमा का कार्य प्राइवेट कंपनियां कर रही हैं, जो सिर्फ अपने लाभ के बारे में ही सोचती हैं। लेकिन अगर किसानों को लाभ पहुंचाना है तो फसल बीमा का काम पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को सौंपना होगा जो नो प्रॉफिट, नो लॉस के मॉडल पर काम करे।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आंकड़ों के साथ बताया कि किस तरह बीजेपी सरकार किसानों को मिलने वाले लाभ में कटौती कर रही है। उन्होंने बताया कि किसान, भूमिहीन किसान और गरीब लोगों को मिलने वाली आर्थिक मदद 2020-21 में 7.07 लाख करोड से घटकर 2021-22 में 4.33 लाख करोड़ और 2022-23 में महज 3.18 लाख करोड़ रह गई। इसी तरह फूड सब्सिडी 2020-21 में 5,41,330 करोड़ से घटकर 2,86,469 करोड़ रह गई है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। आय तो दोगुनी हुई नहीं किसानों का क़र्ज़ ज़रूर दोगुना हुआ है। इसका आँकड़ा देते हुए उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2014 में किसानों पर जो कर्ज 9.64 लाख करोड़ रुपये था, वो अब तक बढ़कर 16.80 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इतना ही नहीं, बीजेपी सरकार किसानों को मिलने वाली रियायतों में कटौती भी कर रही है। इससे साफ है कि किसानों के मुद्दे पर बीजेपी सरकार कन्फ्यूज है। कांग्रेस की नीयत व नीति एकदम स्पष्ट है और वो पूरी तरह किसानों के साथ है।
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पत्रकार वार्ता में कांग्रेस की किसान और खेती समिति के संयोजक भूपेंद्र हुड्डा के अलावा छत्तीसगढ़ से वरिष्ठ नेता टी.एस. सिंह देव, राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, पंजाब कांग्रेस के सीएलपी प्रताप सिंह बाजवा व बिहार से राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह भी शामिल थे।
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