सत्य खबर, चण्डीगढ़
हरियाणा को हरी की नगरी वैसे ही नहीं कहा जाता बल्कि यहां पर महाभारत का युद्ध हुआ था। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण को कई सालों तक हरियाणा में ही रहना पड़ा था। हरियाणा के कुरूक्षेत्र में ही उन्होंने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। वहीं जानकारी के अनुसार पांड़व अज्ञातवास के दौरान हरियाणा के सिसवालीय वनों में भी रहे थे। जिस दौरान उन्होंने माता कुंती के कहने पर शिवलिंग की स्थापना की थी। तो चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
हरियाणा के हिसार में आदमपुर से 10 किमी दूर गाँव में सिसवाल और मोहब्बतपुर के बीच मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है जो कोई साधारण शिवलिंग नहीं है। इस शिवलिंग को महाभारत काल का बताया जाता है। आज भी इस शिवलिंग के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु आते हैं। ये शिवलिंग हरियाणा के हिसार में स्थापित है। हालांकि अभी मंदिर का विकास कार्य चल रहा है। पुरातत्व विभाग के पास भी इस मंदिर का कई वर्षों पुराना रिकॉर्ड है। आइए जानते हैं इस मंदिर के महत्व और इतिहास के बारे में
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माँ कुंती के लिए पांडवों ने की थी शिवलिंग की स्थापना
हरियाणा के हिसार में आदमपुर से 10 किमी दूर गाँव में सिसवाल और मोहब्बतपुर के बीच ये एतिहासिक मंदिर बना हुआ है। इस शिवलिंग का काफी महत्व भी है। जानकारी के अनुसार पुरातत्व विभाग के पास इस मंदिर का 750 वर्षों पुराना रिकॉर्ड भी है। हालांकि इससे पहले का रिकॉर्ड आजादी की लड़ाई में जल गया था। कहा जाता है कि ये शिवलिंग महाभारत काल का है जिसे पांडवों ने ही स्थापित किया था। पांडवों ने स्थापित किया था यह शिवलिंग
रिपोर्ट्स के अनुसार 5 हज़ार 150 साल पहले महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास किया था और इस दौरान वे सिसवालीय वनों में भी रहे थे। वहीं माँ कुंती भी शिव भक्त थी और माँ कुंती के आदेश पर ही पांडवों ने इस जगह पर इस शिवलिंग की स्थापना की थी। कहा जाता है कि ये शिवलिंग आज भी वही है जिसे पांडवो द्वारा स्थापित किया गया था। इसी को शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
करोड़ों की लागत से किया जा रहा मंदिर का कायाकल्प
बताया जा रहा है कि अब इस मंदिर को भी देश में प्रसिद्धि दिलाने का काम चल रहा है। मंदिर के जीर्णोंद्धार का काम किया जा रहा है इसमे करोड़ों रूपये खर्च किए जा रहे हैं। फिलहाल बहुत कम लोगों को इस मंदिर के बारे में जानकारी है। लेकिन इसके बावजूद सैंकड़ों लोग यहाँ शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं।
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