Whose game will the Aam Aadmi Party spoil in Madhya Pradesh? In the election of the urban body, one became the mayor and surprised everyone
सत्य खबर , नई दिल्ली
2023 में मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव होना है । शहरी निकाय चुनाव से पहले बीजेपी को भी भरोसा था कि 2023 में वो फिर एक बार जीतेगी चुनाव वही कांग्रेस को यकीन था कि जो भूल 2018 में हुई इस बार नही होगी । पार्टी 2023 का चुनाव इस बार जरूर जीतेगी । लेकिन दोनों ही पार्टियों का गणित एक तीसरे सियासी खिलाड़ी ने बिगाड़ रखा है। कांग्रेस और बीजेपी को भी पता है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों का मामला बड़ा ही नजदीकी था। और इस नजदीकी खेल ने ही कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया था दोनो ही पार्टी विधानसभा के चुनाव में पूर्णबहुमत नही पा सकी थी। ऐसे नजदीकी मामले में अगर कोई नया खिलाड़ी मैदान में आता है तो मध्यप्रदेश बीजेपी और कांग्रेस की नींद उड़ना स्वाभाविक है। दोनो ही पार्टियों का नींद उड़ाने आम आदमी पार्टी मध्यप्रदेश में आ चुकी है। आम आदमी पार्टी विधानसभा की जिस तरह की चुनावी तैयारी कर रही है। उससे कांग्रेस और बीजेपी दोनो ही परेशान हो सकते है ।
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आम आदमी पार्टी के शहरी निकाय चुनाव में प्रदर्शन से दोनो ही पार्टियों को ये बात समझ नही आ रही है कि आखिर आप चुनावो में किसका खेल बिगाड़ रही है। विधानसभा चुनाव को सिर्फ केवल एक साल है और आप मध्यप्रदेश में लगातार मजबूत शख्सियतों को पार्टी से जोड़ रही है ।जनता के बीच उसके कार्यकर्ता भी उतनी ही मेहनत कर रहे है जितनी बीजेपी और कांग्रेस के कार्यकर्ता। इसका उसे फायदा भी हुआ है। शहरी निकाय चुनावों की बात करे तो आम आदमी पार्टी से एक मेयर तो 40 पार्षद जीते है और उसे पूरे चुनावो में करीब 6 फीसदी वोट मिले है। पार्टी की बढ़ोतरी का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को मात्र एक फीसदी वोट ही मील थे। शहरी निकाय चुनाव में तो आप ने 1500 पार्षद उम्मीदवार खड़े किए थे उनमें से 40 उम्मीदवार चुनाव जीते है जबकि 140 के करीब दूसरे नम्बर पर रहे। पार्टी के साथ नए लोगो के जुड़ने का फायदा उसे निकाय चुनाव में किस तरह मिल रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लग रहा है। सिंगरौली नगर निगम का मेयर का चुनाव जीती रानी अग्रवाल। बीजेपी में हुआ करती थी। बीजेपी में उनकी अनदेखी ने उन्हें पार्टी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में आने का ऑफर दिया लेकिन टिकट के लिए हामी नही भरी। रानी अग्रवाल से आम आदमी पार्टी पहले से ही संपर्क में थी। आखिर पार्टी उन्हें मनाने में सफल हुई और उन्होंने आम आदमी पार्टी जॉइन कर लिया । रानी की ही मेहनत का नतीजा था कि विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी का सिंगरौली में अच्छा प्रदर्शन था। लेकिन आप विधानसभा का चुनाव हार गई थी। आप के कार्यकर्ताओं और रानी अग्रवाल की मेहनत ही थी कि आप ने मध्यप्रदेश में अपना इकलौता मेयर जिताने में सफल रही।
आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन केवल सिंगरौली में ही अच्छा रहा हो ऐसा नही है। पार्टी ने ग्वालियर और रीवा में भी सभी को हैरान किया है दोनो ही जगह पर आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार तीसरे नम्बर पर था। ग्वालियर में तो पार्टी के उम्मीदवार ने 45 हजार से भी ज्यादा मत हासिल किए । आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की वजह से ही बीजेपी ग्वालियर में अपना मेयर नही बनवा सकी। ग्वालियर में कांग्रेस ने मेयर का चुनाव जीता। जिसकी वजह कोई और नही बल्कि आम आदमी पार्टी है। शहरी निकाय चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस और बीजेपी दोनो को ही हिलाकर रखा है। क्योंकि इन दोनों पार्टियों को समझ नही आ रहा कि मध्यप्रदेश में अगर आम आदमी पार्टी आगे बढ़ती है तो किस पार्टी को सबसे बड़ा ख़तरा है । निकाय चुनाव को ही देख लीजिए …आम आदमी पार्टी ने ऐसा नही है कि केवल बीजेपी को ही नुकसान पहुचाया है ..बल्कि काँग्रेज़ को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। मेयर चुनाव की बात की जाए तो जहा सिंगरौली नगर निगम में आप जीती वहाँ कांग्रेस तीसरे और बीजेपी दूसरे स्थान पर रही । इस निगम चुनाव में पार्षदों की संख्या की बात की जाए तो बीजेपी के पार्षद पहले स्थान पर रहे तो कांग्रेस के दूसरे तो आप के तीसरे नम्बर पर। लेकिन मेयर आप का बना। यहां काँग्रेज़ और बीजेपी दोनो को ही नुकसान उठाना पड़ा है। वही ग्वालियर निकाय चुनाव की बात की जाए तो आप पार्टी के उम्मीदवार की वजह से बीजेपी का उम्मीदवार हारा लेकिन जीता कांग्रेस का। वही सिंगरौली में जहा बीजेपी को जीतना था वहां आप जीत गई। ऐसे में आप ने दोनों ही पार्टियों का खेल खराब कर रखा है। आखिर ऐसा है क्यों ? दरअसल मध्यप्रदेश के लोग बदलाव चाहते है।
वहां की दोनो पार्टियों के कामो में जड़ता सी आ गई है। न बीजेपी ही सत्ता को संभाल पा रही है न ही कांग्रेस जनता का सही विकल्प बन पा रही है। बीजेपी मध्यप्रदेश में तीन दशकों से है लेकिन कांग्रेस की नाकामियों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। कि पिछले चुनाव को छोड़ दे तो बीजेपी को वो कभी भी सत्ता से बेदखल नही कर पाए। इसीलिए लोगो को नए विकल्प की तलाश है। जोकि उन्हें आम आदमी पार्टी में दिखाई पड़ रहा है।लेकिन सवाल उठता है कि आप सत्ता में आ रही है । तो ऐसा नही है पार्टी ने अभी इतनी मजबूती नही हासिल की है कि 2023 के चुनाव में सत्ता में आ जाएं। लेकिन बीजेपी और कांग्रेस का खेल जरूर बिगाड़ सकती है। तो अगला सवाल उठता है कि वो कौन सी पार्टी है जिसे सबसे ज्यादा नुकसान होगा । आमतौर पर जो पार्टी सत्ता में रहती है उसी को नुकसान ज्यादा रहता है । क्योंकि अक्सर देखा जाता है। सत्ता की चमक में सत्ताधारी पार्टी आम कार्यकर्ताओं को भूल जाती है जो पार्टी के लिए जी जान से काम करते है । उनके स्थान पर वो दलाल पार्टी में हावी हो जाते है जो सत्ताधारी पार्टियों के नेताओ की धन और बल से सेवा करते है। इस लिहाज से देखा जाए तो बीजेपी के लिए चिंता की बात ज्यादा है। अब देखना होगा कि बीजेपी इस नए खिलाड़ी से पार कैसे पाती है।
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