कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खलने लगी है नेताओं की आपसी फूट
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
जहां इनैलो में पारिवारिक घमासान ने कार्यकर्ताओं के धैर्य को डगमगाया है, वहीं नेताओं की आपसी फूट कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खलने लगी है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की भारी जीत ने तो सबकी आंखे ही खोल दी हैं, जबकि यही कार्यकर्ता पार्टी में अपने नेता की ही पैरवी करते देखे जा सकते थे। उनके मन में पार्टी का वजूद भी केवल अपने नेता के वजूद तक सीमित था। दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं के अस्तित्व को वे नगण्य समझते थे। लेकिन सृष्टि में बदलाव निश्चित है। बदलाव आया तो कार्यकर्ताओं को आभास करा गया कि सदा किसी एक की नहीं चला करती। दरअसल, लोकसभा चुनाव ने राजनीति का परिदृश्य ही बदल रख छोड़ा है। हो सकता है मतदाता के पास विकल्प ना हो, पर पार्टियों को उनकी औकात का पता जरूर लग गया है। जहां ये लोग राजनीति की मलाई को चटकारे ले कर खाया करते थे, अब आगे ही आगे उन्हें अंधेरा दिखाई दे रहा है। ये अंधेरा कब छंटेगा, छंटेगा भी नहीं मालूम नहीं। पर उन्हें टांग खिंचाई के परिणाम का आभास जरूर हो गया है। ऐसे में अब जनता-जनार्दन का विश्वास किस ओर जाएगा, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।