सत्य खबर, चण्डीगढ़, सतीश भारद्वाज :Punjab and Haryana HC has imposed a fine of ₹1 lakh on a lawyer for concealing facts while getting bail in a murder case.
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक हत्या के मामले में अपने वकील की जमानत मांगने पर मामले में लापरवाही व गलत तथ्य पेश करने पर न्यायालय ने एक वकील पर अपने आठ पेज के आदेश में एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन करनाल के एक हत्या के मामले में सीआर एम नंबर 52639 ऑफ 2023 गुलाब सिंह बनाम स्टेट आफ हरियाणा में न्यायमूर्ति संदीप मौदगिल ने पाया कि वकील ने उच्च न्यायालय को दिए गए एक उपक्रम का कोई उल्लेख नहीं किया था कि उनका मुवक्किल ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करेगा। आरोपी मुवक्किल ने अपनी पहली जमानत याचिका वापस लेते हुए इस तरह के वचन का पालन करने की स्वतंत्रता भी मांगी थी।
ऐसे में कोर्ट ने अग्रिम जमानत की दूसरी याचिका को ‘शरारतपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण और अवमाननापूर्ण कृत्य’ बताया। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि कानून केवल उन लोगों के बचाव में आएगा जो साफ हाथों से अदालत में आते हैं। आरोपी गुलाब सिंह ने हरियाणा के करनाल जिले में 2021 में दर्ज एक मामले में अग्रिम जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
दूसरी जमानत याचिका की विचारणीयता के बारे में अदालत के सवाल के जवाब में, उनके वकील ने प्रस्तुत किया कि दो अन्य सह-आरोपियों की दूसरी अग्रिम जमानत याचिका पर एक समन्वय पीठ द्वारा विचार किया गया था और उन्हें अंतरिम सुरक्षा भी दी गई थी।
हालाँकि, राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत के सामने खुलासा किया कि याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के पहले के आदेश को संलग्न करना छोड़ दिया था जिसमें अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का उसका वचन दर्ज किया गया था।
रिकॉर्ड पर गौर करने के बाद, अदालत ने पाया कि आरोपी ने केवल एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका के लंबित होने के कारण अपनी पहली जमानत अर्जी वापस लेने का संदर्भ दिया था, जिसमें ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी।
कोर्ट ने कहा कि पहली जमानत याचिका तभी वापस ले ली गई थी जब याचिकाकर्ताओं ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने के पहले के वादे का पालन करने की स्वतंत्रता मांगी थी। ताजा जमानत याचिका में इसका जिक्र नहीं किया गया.
यह देखते हुए कि अदालत को गुमराह करने का घोर प्रयास किया गया था, न्यायमूर्ति मौदगिल ने कहा, “मेरा मानना है कि दूसरी अग्रिम जमानत अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है और याचिका न केवल खारिज होने लायक है, बल्कि अनुकरणीय जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए ताकि कोई भी अदालतों को नजरअंदाज करने की हिम्मत न कर सके।”
अदालत ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के वकील कल्याण कोष में ₹1 लाख जमा करने के आदेश दिए हैं। मामले में यांची करता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रसाद बंसल ने किया । वहीं अतिरिक्त महा अधिवक्ता संदीप सिंह मान ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया था तथा राहुल देशवाल ने एक निजी प्रतिवादी का प्रतिनिधित्व इस मामले में किया किया गया बताया गया है।