हरियाणा

पंजाब : लोकसभा चुनाव में बन सकता है इन दलों का गठबंधन

Punjab: Alliance of these parties can be formed in Lok Sabha elections

सत्य खबर, चंडीगढ़ ।

आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए पंजाब में भी सियासी दलों की गतिविधियों में अंदरखाने तेजी आने लगी है। हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों ने जहां विपक्षी दलों को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने पर मजबूर कर दिया है, वहीं सूबे में भाजपा उत्साह से भरी है।

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राष्ट्रीय स्तर पर बने इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब में सीट शेयरिंग की भूमिका तलाश रहे हैं वहीं लंबे अरसे तक एकजुट रहे अकाली दल ने फिर से भाजपा के साथ गठबंधन की संभावनाएं टटोलनी शुरू कर दी हैं। नए बनते समीकरणों को देखते हुए सियासी गलियारों में चर्चा है कि हो सकता है, लोकसभा चुनाव में पंजाब के लोगों को चुनने के लिए दो विकल्प, कांग्रेस-आप और शिअद-भाजपा गठबंधन के रूप मिलें। आप से गठजोड़ पर प्रदेश कांग्रेस पसोपेश में
कांग्रेस और आप के गठजोड़ को लेकर भले ही पंजाब कांग्रेस के नेता खुश नहीं हैं, लेकिन वह इस मामले में पार्टी हाईकमान के दिशानिर्देशों की अनदेखी करने पक्ष में भी नहीं हैं। इसके संकेत पंजाब कांग्रेस प्रधान की तरफ से भी दिए गए हैं। दूसरी ओर, पंजाब में सरकार बनाने के तुरंत बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं पर विजिलेंस कार्रवाई शुरू करने वाली आप सरकार ने रुख में अचानक नरमी आ गई है। आप से गठबंधन के विरोध में कांग्रेस के सीनियर नेताओं के बयानों के बावजूद पंजाब आप की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जा रही।

भाजपा-अकाली दल पर आक्रामक हुए सीएम
बीते विधानसभा सत्र के दौरान भी मुख्यमंत्री भगवंत मान और नेता प्रतिपक्ष प्रताप बाजवा के बीच कहीं कोई तल्खी दिखाई नहीं दी, बल्कि मुख्यमंत्री ने इस बार भाजपा को जबरदस्त तरीके से निशाने पर लिया। इसके अलावा, आप सरकार ने अब अपने हमलों का रुख कांग्रेसियों से हटाकर अकाली दल की तरफ कर दिया है। सीनियर अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ आप सरकार की ताजा कार्रवाई और मुख्यमंत्री का तीखा हमला, साफ संकेत है कि भाजपा के साथ-साथ आने वाले दिनों में अकाली दल भी आप के निशाने पर आ जाएगा। इस बदलाव को कांग्रेस और आप के बीच अंदरखाने बढ़ती नजदीकियों के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, दोनों ही दलों के आलाकमान अपने स्तर पर ही गठजोड़ का फैसला करने वाले हैं, जिसमें पंजाब के नेताओं की सलाह काम नहीं करेगी। वैसे, पांच राज्यों के चुनाव परिणामों में आप की जो स्थिति रही, उसके बाद पार्टी के लिए कांग्रेस से गठजोड़ ही फायदे का सौदा रह गया है।

फिर बनेगा पुराना गठबंधन

उधर, पंजाब में लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का एलान कर चुकी भाजपा भले ही घर-घर तक प्रधानमंत्री मोदी की गारंटियों को पहुंचाने का दावा कर रही है, लेकिन पार्टी राज्य में अब तक अपना कैडर मजबूत नहीं कर सकी है। वहीं, दिल्ली में किसान आंदोलन के बाद भाजपा से 25 साल पुराना गठबंधन तोड़ चुके अकाली दल ने अंदरखाने भाजपा से फिर से गठबंधन की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं। इस संबंध में अकाली नेताओं द्वारा भी संकेत दिए गए हैं कि दोनों दलों के बीच बातचीत चल रही है। आने वाले दिनों में यह पुराना गठबंधन भी नई भूमिका में सामने आ सकता है।

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