गुरुग्राम में द्वारका एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन हो रहा है, प्रभावित लोग दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं।
सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार 11 मार्च को गुरुग्राम में द्वारका खेड़कीदौला एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करने पहुंच रहे हैं, जिससे पश्चिमी दिल्ली की गुड़गांव से कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी। लेकिन इसके बावजूद द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए अपनी जमीन देने वाले प्रभावित लोग। अभी भी दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। जहां
हरियाणा के गुरुग्राम में इस मार्ग से विकास को नया आयाम मिलेगा । वहीं इस एक्सप्रेस वे के निर्माण में अपनी जमीन देने वाले लोग आज तक मुआवजे काे तरस रहे हैं। जमीन अधिग्रहित हुए 15 साल से अधिक समय बीत गया है, लेकिन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा जमीन मालिकों को मुआवजा तक नहीं दिया गया है। अपने मुआवजे की मांग को लेकर 150 परिवारों ने न केवल विभागों के कार्यालय के चक्कर लगाए बल्कि अदालत का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन अदालत के आदेश होने के बावजूद अधिकारी अपना अड़ियल रवैया अपनाए हुए हैं। जिस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए अपनी जमीन देने वाले सुखचिंद्र सिंह , गोल्डी कसतुरिया महेन्द्र,व अन्य के अनुसार इनमें ज्यादातर लोग वह हैं जो कि पेंशन पर आश्रित हैं। द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण में उनके आशियाने उनसे ले लिए गए। अधिकारियों ने उन्हें जल्द ही मुआवजा देने और वैकल्पिक प्लॉट देने की बात कही थी, लेकिन आज तक उनकी सुनवाई नहीं हुई। जमीन देने के बाद अपने मुआवजे के इंतजार में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है और उनके वारिस अब विभागों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई करने को कोई अधिकारी तैयार नहीं है।
पीड़ित गोल्डी कस्तूरिया का कहना है कि, वह भी चाहते हैं कि देश का विकास हो, लेकिन इस विकास की नींव उन लोगों का हक मारकर रखी जाए, यह वह बर्दाश्त नहीं कर सकते। वह अपने हक को ही सरकार से मांग रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई करने को कोई तैयार नहीं है। ऐसे में वह परेशान हो चुके हैं।
हरीश महेंद्रू बताते है कि अधिकारी उनकी सुनवाई करते हुए जल्द से जल्द मुआवजा देने व एग्रीमेंट के अनुसार उन्हें दिए जाने वाले वैकल्पिक प्लॉट उन्हें दे ताकि वह अपना जीवन सामान्य तरीके से निर्वहन कर सकें।
वहीं नन्द किशोर का कहना हैं कि अधिकारी हमेशा कार्यवाही का आश्वासन देते रहते हैं। वे
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को भी कई बार इस बारे में आग्रह कर चुके हैं, लेकिन उन्हें हर बार यह कहकर वापस भेज दिया जाता है कि फाइल पर कार्रवाई की जा रही है।
पीड़ित श्री कृष्ण ने बताया कि वे कोर्ट में केस डाल चुके हैं,जिसका फैसला भी उनके हक में साल 2022 में आ चुका है। यह आदेश हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के पास भी पहुंच चुका है। फिर भी लापरवाह अधिकारी आदेशों के तहत भी उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। प्रभावित लोगों का कहना है कि देश तरक्की अवश्य करें लेकिन गरीबों के आशियाने उजाड़ कर नहीं।
बता दें कि इस तरह के मामले गुरुग्राम में ही नहीं काफी शहरों के सामने आ चुके हैं। जिसमें सरकार केवल आम नागरिकों ही नहीं केवल अपने चहेतो को लाभ पहुंचाने के लिए गरीब लोगों के साथ दोगली नीति के साथ भेदभाव की कार्रवाई करती है।