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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में आज आ सकता है पुर्व मंत्री राव नरबीर मामले का फैसला, पंजाबी भाषा बनी संकट

सत्य खबर, गुरुग्राम,सतीश भारद्वाज :

हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राव नरबीर सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। वह एक बार फिर से विवादों में घिरते दिखाई दे रहे हैं, बीते मंगलवार से उच्च न्यायालय में फर्जी शैक्षिक डिग्री मामले की फाइनल बहस हुई थी, वहीं अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला रिजर्व कर लिया था । जिसके निर्णय के लिए अदालत ने आज बुधवार 28 अगस्त की तारीख लगाई हुई है। जिसपर सभी राजनीति दलों की निगाहें टिकी हुई है। क्योंकि हरियाणा के विधानसभा चुनाव सर पर हैं और भाजपा की तरफ से प्रदेश की बादशाहपुर सीट से पूर्व मंत्री चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। जिससे उनके लिए इस केस का फैसला काफी मायने रखता है। अगर अदालत ने केस को रिमांड बैक कर दिया तो पूर्व मंत्री की टिकट पर भी संकट खड़ा हो सकता है। वहीं उन्होंने अपनी जमानत कराकर अदालत में केस भी भुगतना पड़ेगा।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुरुग्राम निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट हरेंद्र ढींगरा ने आरटीआई एक्ट 2005 के तहत पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह की शैक्षिक डिग्री के बारे में वर्ष 2005,2009 तथा 2014 में हुए चुनाव में भारत के चुनाव आयोग को सौंपी गए हलफनामे की प्रति लेकर उसमें दी गई गलत जानकारियों को उजागर किया था। वहीं एक फौजदारी केस अदालत में दायर किया था, जिसको गुरुग्राम अदालत ने खारिज कर दिया था। जिसकी क्रिमिनल रिवीजन आरटीआई एक्टिविस्ट ने माननीय उच्च न्यायालय में वर्ष 2019 में दायर की थी। इसमें अदालत से गुहार लगाई थी कि पूर्व मंत्री के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार करने सहित धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा चलाया जाए। करीब 5 साल तक माननीय उच्च न्यायालय में चल रहे मामले में गत सप्ताह ही अंतिम बहस पूर्ण हुई थी। जिसका फैसला अदालत ने रिजर्व रखते हुए आज की तारीख लगाई हुई है। इस मामले में जहां राजनीतिक पार्टियों की निगाहें टिकी हुई है वहीं भाजपा हाईकमान भी नजर गड़ाए बैठे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं है कि अगर इस केस का फैसला पूर्व मंत्री के खिलाफ आ गया तो उसको दोबारा से फौजदारी मामले में जमानत करवा कर केस का सामना करना पड़ेगा।
अब देखना यह होगा कि माननीय उच्च न्यायालय इस पर क्या फैसला देता है। पूर्व मंत्री पर केस चलाने के लिए गुरुग्राम अदालत को निर्देश देता है,या रिवीजन को खारिज करता है।

पंजाबी भाषा का भी मामला उठा अदालत में

वहीं सूत्रों से यह भी जानकारी मिली कि पूर्व मंत्री की जो डिग्री का मामला है, उसमें पंजाबी भाषा का जिक्र किया गया है। लोगों में चर्चाएं है कि पूर्व मंत्री ने डिग्री पंजाबी भाषा में की है, याची के वकील ने अदालत को बताया गया कि अगर पूर्व मंत्री एक पेज भी पंजाबी भाषा में अदालत के सामने लिखकर दिखा दे तो केस को वापस ले लेंगे।

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