Panchayat elections: राज्य निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला, NOC के बजाय स्व-शपथ पत्र पर लड़ सकेंगे उम्मीदवार
Panchayat elections: पंजाब में पंचायत चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो गई है। नामांकन करने से पहले, उम्मीदवारों के लिए आवश्यक था कि वे क्षेत्र के बीडीपीओ या संबंधित प्राधिकरण से कोई आपत्ति प्रमाण पत्र (NOC) या कोई बकाया प्रमाण पत्र (NDC) प्राप्त करें। लेकिन इस बार निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनावों के नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त राज कमल चौधरी ने बताया कि यदि किसी कारणवश उम्मीदवार NOC प्राप्त करने में असमर्थ है, तो वह स्व-शपथ पत्र देकर नामांकन पत्र भर सकता है। इस निर्णय से उम्मीदवार का नामांकन रद्द नहीं होगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि अक्सर पंचायत चुनावों में नामांकन की प्रक्रिया को NOC प्रमाणपत्र के न होने के कारण रद्द किया जाता था।
स्व-शपथ पत्र का महत्व
राज कमल चौधरी ने स्पष्ट किया कि उम्मीदवार को शपथ पत्र में यह बताना होगा कि क्या वह जिस ग्राम पंचायत से उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है, उसमें या राज्य की किसी अन्य पंचायत में उसके पास कोई बकाया कर या शुल्क है। इसके अलावा, यह भी घोषित करना होगा कि वह पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग अधिनियम-1994 की धारा-11 के तहत किसी पंचायत की संपत्ति या भूमि का अधिग्रहण या लाभ नहीं ले रहा है। पहले तक, इन नियमों के तहत उम्मीदवार के लिए अपने बीडीपीओ या संबंधित प्राधिकरण से NOC लेना अनिवार्य था। लेकिन NOC प्राप्त करने की प्रक्रिया में देरी के कारण नामांकन अक्सर रद्द हो जाते थे।
चुनावी प्रक्रिया की निगरानी
चौधरी ने बताया कि नामांकन भरते समय उम्मीदवार द्वारा दिए गए शपथ पत्र को लौटाने वाले अधिकारी द्वारा संबंधित पंचायत और प्राधिकरण के पास सत्यापन के लिए भेजा जाएगा। यदि सत्यापन रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर आती है, तो नामांकन स्वीकार कर लिया जाएगा, अन्यथा केवल शपथ पत्र के आधार पर नामांकन पत्र स्वीकार किया जाएगा। यदि उम्मीदवार जीत जाता है और बाद में उसका शपथ पत्र गलत पाया जाता है, तो उस पंचायत का परिणाम रद्द कर दिया जाएगा और चुनाव दोबारा कराए जाएंगे।
चुनावों को सफल बनाने के लिए व्यवस्थाएँ
चौधरी ने कहा कि चुनावों को शांति से संचालित करने के लिए 23 आईएएस और पीसीएस अधिकारियों को पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया जाएगा। प्रत्येक वार्ड में सरपंच और पंचों के मतदान के लिए 96 हजार सरकारी कर्मचारियों को ग्राउंड लेवल पर तैनात किया जाएगा। इस प्रकार की व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करेंगी कि चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हों।
पंचायत चुनावों की महत्ता
पंचायत चुनावों का भारत में लोकतंत्र की नींव में महत्वपूर्ण स्थान है। यह स्थानीय स्तर पर शासन की प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करता है। पंचायतें गाँवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और स्थानीय मुद्दों को हल करने में मदद करती हैं। इस चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाने से, अधिक लोग चुनावों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी।
स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य
इस निर्णय से स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य में भी बदलाव आ सकता है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार अधिक उम्मीदवार अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए चुनावी मैदान में उतरेंगे। इससे न केवल पंचायतों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, बल्कि यह स्थानीय विकास को भी गति देगा।
आम जनता की अपेक्षाएँ
आम जनता की अपेक्षाएँ हैं कि पंचायत चुनावों में उम्मीदवार स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देंगे और विकास कार्यों को प्राथमिकता देंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं का विकास होगा और नागरिकों का जीवन स्तर ऊँचा उठेगा।