Punjab High Court: सरकार को बताना होगा कि MPs, MLAs और मंत्रियों के लिए वाहनों की खरीद में कितना खर्च हुआ
Punjab High Court: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में पंजाब सरकार को समन जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि पंजाब में सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के लिए वाहनों की खरीद में कितना धन खर्च हुआ। यह आदेश ऐसे समय में आया है जब राज्य सरकार ने केंद्रीय योजना आयुष्मान भारत के तहत निजी अस्पतालों को फंड जारी नहीं किए हैं, जबकि केंद्र सरकार से 350 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।
आयुष्मान भारत योजना का मुद्दा
भारतीय चिकित्सा संघ पंजाब ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि केंद्र से प्राप्त 350 करोड़ रुपये के बावजूद, राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों को मरीजों के इलाज का भुगतान नहीं किया। याचिका में यह भी कहा गया कि ऐसे में सरकारी अस्पतालों की कमी के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
हाई कोर्ट ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह उचित होगा कि राज्य सरकार से आयुष्मान भारत योजना के तहत केंद्र से प्राप्त धनराशि के उपयोग पर विस्तृत जवाब लिया जाए। कोर्ट ने पूछा है कि क्या इस राशि का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया जा सकता है या नहीं।
वाहनों और विज्ञापनों पर खर्च
हाई कोर्ट ने अब पंजाब सरकार से यह भी जानकारी मांगी है कि पिछले तीन वर्षों में विज्ञापनों पर कितना खर्च किया गया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह जानने की इच्छा जताई है कि सांसदों, मंत्रियों, विधायकों और कक्षा एक के अधिकारियों के लिए वाहनों की खरीद और उनके घरों की मरम्मत पर कितना धन खर्च हुआ है।
कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिया है कि वह 30 दिसंबर 2021 से 24 सितंबर 2024 तक के बिलों के खिलाफ किए गए भुगतानों के विवरण के साथ ही भुगतान की तारीखें भी प्रदान करे।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई
इसके अलावा, हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव कुमार राहुल, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी बबिता, निदेशक दीपक और उप निदेशक शरणजीत कौर के वेतन की कटौती का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक पंजाब सरकार इस मामले में उचित जानकारी नहीं प्रदान करती, तब तक इन अधिकारियों के वेतन में कटौती की जाएगी।
सरकार का जवाब
इस मामले में सरकार को अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए एक निश्चित समय दिया गया है। राज्य सरकार को यह बताना होगा कि उसने केंद्र से प्राप्त धन का उपयोग कैसे किया है और उसके खर्च का विवरण प्रस्तुत करना होगा। यह जानकारी जनता के हित में बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर जब यह जानने की बात आती है कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवश्यक फंड का उपयोग ठीक से नहीं किया जा रहा है।
जनता की चिंताएं
यह मामला न केवल सरकारी कामकाज की पारदर्शिता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे सरकारी योजनाएं आम जनता के लिए प्रभावी नहीं हो पा रही हैं। लोगों का कहना है कि यदि केंद्र सरकार ने धनराशि प्रदान की है, तो इसे उचित तरीके से उपयोग में लाया जाना चाहिए। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक है और इसे सुधारने की आवश्यकता है।