Banka News: जहरीला पदार्थ खाकर एक ही परिवार के 5 सदस्यों का आत्महत्या का प्रयास
Banka News: बांका जिले के अमरपुर ब्लॉक स्थित शौभनपुर पंचायत के बलुआ गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों ने जहर खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया है। इस घटना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। परिवार के सदस्य जब अत्यधिक खराब हालत में थे, तो उन्हें इलाज के लिए रात 2:30 बजे अस्पताल लाया गया। जहां उपचार के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए भागलपुर के मायागंज अस्पताल रेफर किया गया। हालांकि, शनिवार की सुबह इलाज के दौरान परिवार के मुखिया कन्हैया महतो (40) और उनकी पत्नी गीता देवी (35) की मौत हो गई। वहीं, परिवार के अन्य चार सदस्य गंभीर हालत में हैं, जिनमें बेटी सरिता कुमारी (16), बेटा धीरज कुमार (12), और राकेश कुमार (8) शामिल हैं।
आर्थिक संकट और कर्ज का बोझ था आत्महत्या के पीछे कारण
स्थानीय लोगों के अनुसार, परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। इस परिवार ने दो-तीन निजी बैंकों से समूह ऋण लिया था, जिसके कारण बैंक के कर्मचारी नियमित रूप से पैसे की वसूली के लिए घर आते थे। यह कर्ज और वसूली की प्रक्रिया ही संभवतः इस परिवार के सदस्यों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दी। कन्हैया महतो ऑटो चालक के रूप में परिवार का भरण-पोषण करता था, लेकिन उसके ऊपर कर्ज का भारी बोझ था।
जीवन बचाने की कोशिशें जारी
हस्पताल में इलाज के दौरान, सरिता कुमारी को उबकाई कराकर उसके पेट से सल्फास की गोलियां निकाली गईं। दोनों बेटों को भी उबकाई कराकर उनका जहर बाहर निकाला गया। सभी तीन बच्चे अभी भी अस्वस्थ हैं और उनके शरीर में ऐंठन, तेज सिरदर्द, और हाथ-पैरों में दर्द की शिकायत है। इस घटना के बाद परिवार के अन्य सदस्य और पड़ोसी सदमे में हैं और सभी की आंखों में आंसू हैं।
कर्जदारों की यातना से तंग आकर लिया आत्महत्या का कदम
परिवार के सदस्य बताते हैं कि कन्हैया महतो पर 20 लाख रुपये से अधिक का कर्ज था, जिसे उसने महिला विकास समितियों और निजी कर्जदारों से लिया था। ये कर्जदार कन्हैया को अत्यधिक ब्याज पर पैसे देते थे और उसे मानसिक रूप से परेशान करते थे। रोजाना कर्जदार उसके घर आते, उसे गालियां देते और परिवार के सामने उसे अपमानित करते थे। इतना ही नहीं, कर्जदार उसके द्वारा कमाए गए पैसे भी छीन लेते थे, जिससे कन्हैया की स्थिति बहुत खराब हो गई थी।
कन्हैया के पास केवल एक कट्ठा जमीन थी, जिसमें उनके तीन भाइयों का हिस्सा था और एक कंक्रीट का घर था, जो इंदिरा आवास योजना के तहत बना था। बावजूद इसके, कन्हैया का जीवन कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था, और उसकी पत्नी गीता देवी भी इन कर्जदारों से जुड़ी हुई थीं। यह कर्ज और कर्जदारों के अत्याचारों के कारण कन्हैया का जीवन बेहद मुश्किल हो गया था।
परिवार के सदस्य परेशान और सदमे में
कन्हैया महतो के दो बड़े भाई श्याम कुमार महतो और भोला महतो ने मिलकर कन्हैया को और उसके परिवार के अन्य सदस्य को तुरंत अस्पताल पहुंचाया। घटना के बाद परिवार के सदस्य अस्पताल में बुरी स्थिति में हैं, और वे लगातार आंसू बहा रहे हैं। इसके अलावा, कन्हैया की वृद्ध मां को इस घटना की जानकारी नहीं दी गई है ताकि वह सदमे से न गुजरे।
पुलिस ने शुरू की कार्रवाई
इस घटना के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और परिवार के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेकर कर्जदारों और वसूली के तरीके पर भी जांच कर रही है। कर्ज के बोझ तले दबे कन्हैया और उनके परिवार के लिए यह घटना एक बेहद दुखद मोड़ साबित हुई है।
बांका जिले में हुए इस दर्दनाक घटना ने यह दर्शा दिया है कि कर्ज और आर्थिक संकट के कारण परिवार के लोग आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने पर मजबूर हो सकते हैं। यह घटना समाज के उन कर्जदाताओं और बैंक अधिकारियों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए, जो लोगों के जीवन को उनके कर्ज के दबाव में और भी कठिन बना देते हैं। इस घटना से समाज को यह संदेश मिलता है कि कर्जदारी के मामलों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए और लोगों को मानसिक दबाव से बचाने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।