Punjab News:हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी बिना एफआईआर के जांच पर विजिलेंस को क्यों लताड़ा

Punjab News: पंजाब राज्य सतर्कता ब्यूरो के भ्रष्टाचार मामले की जांच में पांच साल तक FIR दर्ज न करने पर पंजाब उच्च न्यायालय ने गहरी नाराजगी जताई है। जस्टिस सुमित गोयल की एकल बेंच ने इसे न केवल समझ से परे बल्कि निंदनीय भी बताया। यह मामला हरमीत सिंह सेहगल की अग्रिम जमानत याचिका से जुड़ा था।
FIR न दर्ज करने पर स्पष्टीकरण मांगा
कोर्ट ने सतर्कता ब्यूरो के मुख्य निदेशक से एक हलफनामा दाखिल करने और FIR न दर्ज करने के पीछे के कारणों और तर्कों को स्पष्ट करने को कहा। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि पांच सालों तक मामले की जांच चलती रही लेकिन FIR तक दर्ज नहीं किया गया जो कि कानून प्रक्रिया का उल्लंघन है।
शिकायत 2019 में दर्ज हुई थी
अधिवक्ता एसके गर्ग नरवाना, जो याचिकाकर्ता की ओर से बहस कर रहे थे, ने कोर्ट को बताया कि 2019 में शिकायत दर्ज की गई थी लेकिन सतर्कता ब्यूरो ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। जांच के नाम पर यह मामला लटका रहा और जब भी याचिकाकर्ता को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया, उसने सहयोग किया। फिर भी FIR दर्ज नहीं की गई।
कोर्ट का गंभीर चिंता व्यक्त करना
कोर्ट ने इस देरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि 2019 में दर्ज शिकायत के आधार पर 2025 में FIR दर्ज करना न केवल जांच प्रक्रिया का दुरुपयोग है बल्कि न्यायिक प्रणाली की गंभीर उपेक्षा भी है। इस पर न्यायालय ने पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा और निष्कलंक जांच की अपेक्षा जताई।
याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करने का आदेश
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देते हुए उसे 21 अप्रैल को जांच अधिकारी के सामने पुलिस स्टेशन में 11 बजे पेश होने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में सतर्कता ब्यूरो से पारदर्शिता की उम्मीद थी और इस देरी की सही वजह का स्पष्ट जवाब मिलना चाहिए।