सत्य खबर
कृषि कानूनों को रद्द कराने समेत कई मांगों को लेकर किसान जत्थेबंदियों की केंद्र सरकार के साथ शनिवार को 5वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। इसके बावजूद यहां आंदोलनरत किसानों और उनके हिमायतियों के हौसले बुलंद हैं। आंदोलन लंबा चलता देख चारों तरह से मदद के लिए हाथ आगे बढ़ रहे हैं। सर्दी के मद्देनजर भी आंदोलनस्थलों पर प्रबंध कर रहे हैं।
बहादुरगढ़ में धार्मिक संस्थाओं ने किसानों के नहाने, धोने के लिए जहां मंदिरों व धर्मशालाओं के दरवाजे खोल दिए हैं। सिंघु बॉर्डर पर भी ऐसे ही प्रबंध कर दिए गए हैं। यहीं, एक उद्यमी ने अपनी फैक्ट्री में किसानों के लिए टॉयलेट, वॉशरूम, पानी आदि की व्यवस्था कर दी। दूसरी तरफ, पंजाब की स्टूडेंट्स यूनियन के युवक-युवतियों के अलावा उत्तर प्रदेश के किसानों, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) की यूपी एवं उत्तराखंड इकाइयों ने अपने साथियों के साथ सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन में लिया भाग।
दूसरे राज्यों और देशों के नागरिकों से भी इस आंदोलन को समर्थन मिलने लगा है। कुवैत के स्माइल सालम समरी को भारत में चल रहे किसान आंदोलन का पता चला तो उसने वहां पर अपने साथी पंजाब के अमू कुवैत, लब्बा कुवैत और जेपी यादव के माध्यम से यहां देसी घी व मावे की पिन्नियों का कैंटर भरकर भेजा।
यह जानकारी देते हुए होशियारपुर जिले के गांव सिकरी के अवतार सिंह ने खुलासा किया कि यह लंगर स्माइल सालम समरी ने लगवाया है। वह और उनके साथी उनकी इच्छा के अनुसार सेवा कर रहे हैं। इसके अलावा सिंघु बाॅर्डर पर और भी कई तरह के लंगर लग रहे हैं। यहां कोई टमाटर, ब्याज, पिन्नी, जूस का लंगर लगा रहा है तो काेई सब्जी-पूड़ी, किन्नू, सेब, बिसलेरी और अन्य तरह के लंगर बांट रहा है। हर कोई अपने अपने हिसाब से सेवा कर रहा है।
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खालसा ऐड का विश्राम घर, एक समय में 500 किसानों के ठहरने का प्रबंध
खालसा ऐड के एशिया इंचार्ज अमनप्रीत सिंह ने बताया कि विख्यात खालसा ऐड ने आंदोलन में किसानों के लिए पीने के पानी, जूस, फ्रूट व मेडिकल सुविधाओं के साथ अब अस्थायी विश्राम घर बनाया है। इसमें 500 लोग सो सकते हैं। कंबल, गद्दे, पानी, गीजर, बाथरूम और मोबाइल चार्जर की व्यवस्था है।
आंदोलन में हिस्सा ले रहे कई अध्यापक, वे यहीं से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा भी रहे
फरीदकोट के जंडा सिंह वाला के प्राइवेट स्कूल के टीचर गुरजिंदर सिंह टिकरी भी बॉर्डर पर डटे हंै। वह सुबह से दोपहर तक स्कूली बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाते हैं। वहीं, दीपसिंह वाला गांव का चौथी का बच्चा जरनैल सिंह ऑनलाइन पढ़ाई करता है। वह अपने पिता राजेन्द्र सिंह किरती किसान यूनियन के प्रांतीय सचिव के साथ आया है।
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