सत्यखबर,चढीगढ़
किसान आंदोलन में अब तक जान गंवाने वालों के आश्रितों के लिए मुआवजा व नौकरी की मांग पर किसान अडे़ हैं। इसी के चलते बहादुरगढ़ में पहले की छह मौत के मामलों में से एक शव तो 10 दिन से पोस्टमार्टम के बिना सिविल अस्पताल में रखा हुआ है। एक दिन पहले हुई मौत के मामले में भी परिजनाें ने शव लेने से इंकार कर दिया था।ऐसे में अंतिम संस्कार रुक गया। इस बीच यहां पर दो और किसान अस्तपाल पहुंच गए। एक को नशे की हालत में गिरने से चोट लगी। उसका नाम लखबीर सिंह है। वह पंजाब के संगरूर का रहने वाला है।
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जबकि एक 35 वर्षीय किसान को हृदय की समस्या आने पर अस्पताल ले जाया गया। दोनों को रोहतक पीजीआइ रेफर कर दिया गया। आंदोलन में जान गंवाने वालों को किसानों की ओर से 20 दिसंबर को सामूहिक रूप से श्रद्धांजलि दी जाएगी। बता दें कि इस आंदोलन में जनकराज, गज्जन सिंह, गुरजंट सिंह, मेवा सिंह, लखबीर सिंह और आढ़ती के मुनीम कृष्ण लाल की पहले मौत हो गई थी और वीरवार को बठिंडा के किसान जय सिंह की मौत हो गई थी। इनमें से मेवा सिंह का शव 8 दिसंबर से ही सिविल अस्पताल के शवगृह में रखा हुआ है। स्वजन पोस्टमार्टम करवाने के लिए नहीं आ रहे। उनका कहना है कि सरकार पहले मुआवजे और नौकरी की घोषणा करे। अन्य मामलों में भी यही मांग की गई थी। सभी मृतकों के कई-कई दिन बाद पोस्टमार्टम हो पाए थे। अब जय सिंह की मौत के मामले में भी स्वजनों ने यही मांग रखी है।
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