सत्यखबर,टीकरी बॉर्डर
टीकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल कोरोना से मौत का शिकार हुई पश्चिम बंगाल की युवती से दुष्कर्म समेत विभिन्न धाराओं में 6 लोगों पर केस दर्ज हुआ है। इनमें 4 किसान नेता और दो आंदोलन से जुड़ी महिला वॉलंटियर शामिल हैं। हालांकि युवती की कोरोना संक्रमित होने के बाद मौत हो गई थी मगर उससे पहले उसके साथ कुछ गलत होने का मामला भी कई दिनों से काफी गर्म था।
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वहीं मृतक युवती के पिता के ब्यान पर अब बहादुरगढ़ शहर थाना में मामला दर्ज किया गया है। कई संगठनों के नेता इस मामले को उठा रहे थे। आरोपी किसान सोशल आर्मी से जुड़े हैं। आरोपियों की पहचान अनिल मलिक, अनूप सिंह, अंकुश सांगवान, जगदीश बराड़, कविता आर्य व योगिता सुहाग के रूप में हुई है। सामूहिक दुष्कर्म के अलावा अपहरण, ब्लैकमेलिंग, बंधक बनाने और धमकी देने की धारा भी शामिल है। बताया जा रहा है कि इनमें से अनूप सिंह तो हिसार क्षेत्र से हैं। वह आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। इसकी पुष्टि आप के सांसद सुशील गुप्ता ने भी की है। वहीं अनिल मलिक दिल्ली में ही आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता बताये जा रहे हैं मगर इसके बारे में सुशील गुप्ता ने जानकारी होने से इंकार किया है। ये दोनों ही आंदोलन की शुरूआत से टीकरी बॉर्डर पर किसान सोशल आर्मी के बैनर तले सक्रिय थे।
आंदोलन स्थल पर पक्का तंबू बनाकर रह रहा अनूप सिंह युवती की मौत के समय से यहां से गायब था। वहीं कुछ दिन बाद रात में उसका तंबू भी यहां से हटा दिया गया था। वहीं आंदोलन के मंच से अनूप सिंह से संयुक्त मोर्चा ने पल्ला झाड़ लिया गया। युवती के माता-पिता टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर आए थे। कई दिनों से यह मामला गर्म होता जा रहा था। शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख सदस्यों ने टीकरी बॉर्डर पर इसी सिलसिले में गुप्त बैठक हुई थी और इस मामले में मोर्चा की तरफ से ही एक जांच कमेटी बनाने की बात कही गई थी।
यही नहीं आंदोलन में शामिल कई संगठनों की ओर से इसको लेकर आवाज उठाई जा रही थी। शनिवार की रात युवती के पिता की शिकायत के बाद थाना में मामला दर्ज हो गया। इस तरह की घटना से तो आंदोलन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।वहीं इस बारे में जब बहादुरगढ़ शहर थाना प्रभारी का फोन नम्बर विजय कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि महिला थाना प्रभारी को इसकी जांच सौंपी गई है। जांच पूरी होने के बाद कानूनी कार्रवाही की जायेगी।
बता दें कि 10 दिन पहले युवती की कोरोना से मौत होने के बावजूद किसानों ने शव यात्रा निकाली थी। जबकि कोरोना संक्रमित मृतक व्यक्ति के शव का एक निश्चित गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्कार किया जाता है। किसानों ने भीड़ में जब कोरोना संक्रमित मृत युवती की शव यात्रा निकाली तो इस दौरान संक्रमण फैलने का भय बना रहा। किसान आंदोलन के बीच यह पहली मौत थी।
वहीं इसी दौरान मृतक युवती के साथ कुछ गलत होने की बातें भी सामने आ रहे थी, जबकि इस बात को अनदेखा कर दिया गया और कहा गया कि युवती की मौत कोरोना से हुई है। हालांकि युवती कोरोना संक्रमित थी मगर किसानों का कहना था कि उन्हें बदनाम करने के लिए दुष्कर्म होने जैसी बातें की जा रही हैं। अब बड़ा सवाल यह भी है कि दुष्कर्म का मामला तो दर्ज हो गया है मगर युवती के शव का अंतिम संस्कार किए जाने से जांच किस तरह से आगे बढ़ेगी। क्योंकि कोरोना से मृत हुए लोगों के शवों का मेडिकल भी नहीं किया जाता है।
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