After India’s strictness, Sri Lanka asked China to call back its ship
सत्य खबर , नई दिल्ली
श्रीलंका ने चीन से कहा है कि वह हंबनटोटा बंदरगाह पर अपने अंतरिक्ष -उपग्रह ट्रैकर जहाज यूआन वांग 5 की यात्रा को टाल दे। श्रीलंका की सरकार का कहना है कि, जब तक दोनों सरकारों के बीच कोई और सलाह-मशविरा नहीं हो जाता है तब तक के लिए खोजी जहाज को श्रीलंका आने से रोक दिया जाए। बता दें कि, बीजिंग का यह जासूसी जहाज 11 अगस्त को हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचने वाला था। यह चीनी ‘वैज्ञानिक शोध जहाज’ 11 अगस्त को हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचने वाला है, जिसे श्रीलंका ने पैसा नहीं चुका पाने की एवज में चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया है।
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5 अगस्त को श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चीन से उसके उपग्रह ट्रैकर सैन्य जहाज यूआन वांग 5 की 11 अगस्त की आगमन तिथि को इस मुद्दे पर आगे के परामर्श तक स्थगित करने का अनुरोध किया है।श्रीलंका भारत को अपना बड़ा भाई मानता है। ऐसे में वह नई दिल्ली की बात को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। उसे मालूम है कि भारत उसे कदम-कदम पर मदद कर रहा है। अभी श्रीलंका के खराब हालात में भी भारत ने जिस तरीके से उसे मदद पहुंचाई उसको लेकर वहां की जनता भारत को धन्यवाद कह रही है।
शोध के नाम पर भारत की टोह लेने की फिराक में चीन
बता दें कि, चीन का एक खोजी जहाज यूआन वांग 5 11 अगस्त को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचने वाला है। मालूम हो कि, श्रीलंका ने पैसा नहीं चुका पाने की एवज में चीन को 99 साल की लीज पर अपना हंबनटोटा बंदरगाह दे दिया है।
शोध और सर्वेक्षण की आड़ में चीन का एक जासूसी जहाज को श्रीलंका के बंदरगाह पहुंचने वाला है। भारतीय नौसेना ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि, श्रीलंका ने भारत के अनुरोध को नजरअंदाज करते हुए चीन के इस खोजी जहाज को अपने बंदरगाह में रुकने की इजाजत दे दी थी। अब श्रीलंका की सरकार चीन को साफ कह दिया है कि, वह अपना खोजी जहाज को कोलंबो ना लाए।
रिसर्च की आड़ में जासूसी!
भारत को आशंका है कि इस जहाज पर लगे शक्तिशाली एंटीना सामरिक और सैन्य प्रतिष्ठानों की जासूसी करने में सक्षम हैं। फिलहाल, भारत इस पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। खबर है कि, 071 टाइप लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (एलपीडी) लुयांग क्लास गाइडेड मिसाइल विध्वंसक भी हिंद महासागर को पार कर रहा है और अफ्रीका के पूर्वी समुद्र तट पर जिबूती में चीनी बेस की ओर बढ़ रहा है।
बता दें कि, श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे की सरकार ने चीन के उपग्रह ट्रेकर सैन्य जहाज युआन वांग 5 को हंबनटोटा में आने की मंजूरी दी है। बता दें कि, रानिल विक्रमसिंघे जब प्रधानमंत्री थे, उस समय श्रीलंका ने रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह को औपचारिक तौर पर चीन को 99 साल के पट्टे पर दे दिया था।
श्रीलंका की सफाई दूसरी तरफ, चीन के खोजी जहाज के हंबनटोटा बंदरगाह पर आने को लेकर श्रीलंका ने सफाई देते हुए कहा कि, चीन का यह जहाज केवल ईंधन भरने के लिए आ रहा है। दो अगस्त को श्रीलंकाई कैबिनेट के प्रवक्ता बंदुला गुणवर्धन ने कहा, “राष्ट्रपति ने कैबिनेट को बताया कि दोनों देशों के साथ काम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए जाएंगे ताकि कोई समस्या पैदा न हो।
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