Arvind Yadav’s counterattack on Rao Inderjit’s attack
सत्य खबर,रेवाड़ी
राव साहब यानी राव इंद्रजीत सिंह । अहीरवाल के शाही खानदान से आते है । देश आजाद होने के साथ ही राजे रजवाड़े तो खत्म हो गए लेकिन शाही खानदान का रौब आज भी बरकरार रहा है। यही वजह है कि उन्हें गुस्सा भी खूब आता है और किसी को भी निशाने पर ले लेते है। वैसे तो है बीजेपी में लेकिन अपने को पार्टी से ऊपर ही लगाते है। अब लड़ाई की यही मैन वजह है। रॉव साहब शाही परिवार से है तो जनता भी उनका वैसे ही सम्मान करती है। लेकिन राजा महाराजा का दौर तो कब का खत्म हो गया । अब तो वो बीजेपी के सामान्य कार्यकर्ता है। संगठन भी चाहता है की राव साहब ये बात माने लेकिन राव साहब है कि मानने को तैयार नही है। अहीरवाल में उनके अपने कार्यकर्ता है जिनकी वो आज भी सुनते है और उन्ही के मुताबिक अपनी राजनीति करते है।Arvind Yadav’s counterattack on Rao Inderjit’s attack
कांग्रेस में थे तो मुख्यमंत्री से उनकी ठनती थी अब बीजेपी में है तभी इनकी मुख्यमंत्री से ही ठनती है। ऐसा करके ही वे अपना कद दक्षिण हरियाणा में मुख्यमंत्री से भी बड़ा बनाने की कोशिश करते है। लेकिन इस बार उनसे चूक हो गई । राजा है भाई । राजा से भिड़ना चहिए था। लेकिन भीड़ गए राजा के संतरी से।वैसे राव साहब रिवाड़ी पहुचे तो थे।आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने।केंद्र सरकार तक भी ठीक था। उन्होंने केंद्र सरकार की उपलब्धियों भी खूब गिनाई । लेकिन निशाने पर रही हरियाणा की सरकार और प्रदेश नेतृत्व। समारोह के जरिये उन्होंने प्रदेश नेतृत्व की उपलब्धियां कम और कमियां ज्यादा बताई।उन्होंने कहा कि बीजेपी के जयचंद न होते तो वो रेवाड़ी विधानसभा का चुनाव जरूर जीत जाते।रिवाड़ी की हार उन्हें आज भी कष्ट देती है।Arvind Yadav’s counterattack on Rao Inderjit’s attack
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इस हार के लिए उन्होंने बीजेपी नेता अरविंद यादव पर निशाना साधते हुए उनकी तुलना जयचंद से कर दी।उन्होंने कहा कि कंहा पार्टी को जयचंदो को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर देना चाहिए था लेकिन पार्टी ने ऐसा न करके उन्हें पुरस्कृत करते हुए हरको का चेयरमैन बना दिया। राव इंद्रजीत का इतना कहना था कि तू तू मैं मैं की जंग में अरविंद यादव भी कूद पड़े । उन्होंने राव इंद्रजीत को जवाब देते हुए कहा कि अगर जयचंद ही किसी को हरा जीता सकता है तो वो काहे के राव साहब है। दरअसल, अरविंद यादव किसके खास है सभी को पता है। अगर वो हरको बैंक के चेयरमैन बने है तो इसमें मुख्यमंत्री की कृपा जरूर होगी। लेकिन राव साहब राजा से भिड़ने के बजाय सन्तरी से ही भिड़ बैठे। पर यहा बड़ा सवाल उठता है कि आख़िर राव साहब दो साल बाद इस मुद्दे को क्यों उठा रहे है? क्या उन्होंने कोई राजनीतिक फैसला कर लिया है?क्या वो बीजेपी को बाय बाय कहने वाले है। राव साहब की राजनीति को करीब से देखने वाले जानते है कि राव साहब की ऐसी कोई प्लानिंग नही है। वो कभी भी मोदी शाह के खिलाफ नही बोलते है। अगर उन्हें पार्टी छोड़नी होती तो वो केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल उठाते ऐसा उन्होंने नही किया। ऐसा पहली बार नही है जब राव इन्द्रजीत ने बीजेपी संगठन या मुख्यमंत्री को घेरा है। अहीरवाल की राजनीति वो ऐसे ही करते आये है ।Arvind Yadav’s counterattack on Rao Inderjit’s attack
मुख्यमंत्री को घेर कर वो अहीरवाल की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाएं रखते है। तो सवाल उठता है । कि क्या बीजेपी अब उनका सुनना बंद करना चाहती है।अरविंद यादव के जवाब से तो ऐसा ही लगता है। कि प्रदेश नेतृत्व अब राव इंद्रजीत की बकवास नही सुनना चाहता है।तो क्या प्रदेश बीजेपी नेतृत्व राव साहब को हद में रहने की धमकी दे रहा है। लगता कुछ ऐसा ही है। अभीतक राव साहब हल्के में आते थे बोल कर चले जाते थे। लेकिन बीजेपी का कोई कार्यकर्ता उनके बयान पर प्रतिक्रिया नही देता था। ऐसा पहली बार हुआ है अरविंद यादव ने खुलकर राव इंद्रजीत को घेरा है। इसमें भी गलती राव साहब की ही मानी जायेगी उन्हें अरविंद यादव को नाम लेकर निशाना नही साधना चाहिए था। तो अब इस लड़ाई का क्या मोड़ है ?Arvind Yadav’s counterattack on Rao Inderjit’s attack
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अगर प्रदेश नेतृत्व आगे से कोई बयान नही देता है तो शायद राव साहब चुप बैठे जाए । लेकिन उनकी आदत में ऐसा है नही। कि वो चुप बैठे। ऐसे में अगर अहीरवाल में राव इंद्रजीत को अपने साथ बनाकर रखना है तो बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व को ही उन पर निशाना साधना बन्द करना होगा। नही तो ऐसे हालात बनते देर नही लगेंगे।जहा बीजेपी को अहीरवाल में न चाहते हुए भी टूट का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि इसमें कोई दो राय नही राव साहब का रुतबा आज भी अहीरवाल में वैसा ही जैसा कांग्रेस के जमाने मे था। आज भी वो भले ही अपने उम्मीदवार को चुनाव जितवा भले न सके। लेकिन किसी भी उम्मीदवार को चुनाव हरवा जरूर सकते है। वही बीजेपी ने अहीरवाल में बहुत बड़ी मजबूती पा ली हो ऐसा नही दिखता है। बीजेपी को अगर 2024 का चुनाव अहीरवाल में जितना है। तो पार्टी को एकजुट करने के अलावा उसके पास कोई चारा नही है।
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