राष्‍ट्रीय

Cabinet Committee ने 31 प्रीडेटर ड्रोन और 2 परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण को दी मंजूरी

भारत की समुद्री और रक्षा क्षमताओं को मजबूती देने के लिए Cabinet Committee ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। बुधवार को रक्षा मामलों की Cabinet Committee ने दो बड़े सौदों को मंजूरी दी, जिसमें देश में दो परमाणु पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण और अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद शामिल है। इन दोनों सौदों का कुल मूल्य करीब 80,000 करोड़ रुपये आंका गया है। इस निर्णय से भारतीय नौसेना और रक्षा बलों की निगरानी क्षमता में कई गुना वृद्धि होगी और देश की सुरक्षा संरचना और भी सशक्त होगी।

भारतीय नौसेना को मिलेगी नई ताकत: दो परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण

Cabinet Committee ने जिस सौदे को मंजूरी दी है, उसमें भारतीय नौसेना के लिए दो परमाणु चालित हमला पनडुब्बियों का निर्माण शामिल है। ये पनडुब्बियां भारतीय सागर क्षेत्र में नौसेना की क्षमताओं में कई गुना वृद्धि करेंगी। सूत्रों के अनुसार, विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में इन पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा, जिसमें निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों जैसे लार्सन एंड टूब्रो की बड़ी भूमिका होगी। इस सौदे की कुल लागत लगभग 45,000 करोड़ रुपये है।

इस परियोजना के तहत बनने वाली पनडुब्बियां उन्नत तकनीक से लैस होंगी, जो भारतीय नौसेना की जलक्षेत्र में गतिविधियों को मजबूती देंगी। इन पनडुब्बियों का निर्माण भारत के एटीवी (एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल) परियोजना के तहत होगा, जो देश की पनडुब्बी निर्माण क्षमताओं को अगले स्तर पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

लंबे समय से लंबित था सौदा

यह सौदा लंबे समय से लंबित था, और भारतीय नौसेना इसकी जोरदार मांग कर रही थी क्योंकि यह उसकी पानी के अंदर की क्षमताओं की कमी को पूरा करने के लिए अत्यंत आवश्यक था। भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में जो परमाणु पनडुब्बियां हैं, वे आरीहंत श्रेणी की हैं और विशाखापट्टनम में ही उनका निर्माण किया गया है। लेकिन नई परमाणु पनडुब्बियां आरीहंत श्रेणी की पनडुब्बियों से अलग होंगी और इनमें और अधिक उन्नत सुविधाएं होंगी।

सरकार की योजना है कि भविष्य में स्वदेशी रूप से निर्मित पनडुब्बियों की संख्या बढ़ाई जाए और इस योजना के तहत भारतीय नौसेना के बेड़े में छह ऐसी पनडुब्बियों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे भारतीय नौसेना की जलक्षेत्र में उपस्थिति और प्रभावशीलता में व्यापक सुधार होगा।

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31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद

Cabinet Committee द्वारा अनुमोदित दूसरा बड़ा सौदा अमेरिका के जनरल एटोमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद से संबंधित है। ये ड्रोन भारतीय रक्षा बलों की निगरानी और हमले की क्षमताओं को कई गुना बढ़ाएंगे। इन ड्रोनों का उपयोग भारतीय नौसेना, वायुसेना और सेना द्वारा किया जाएगा।

अमेरिका से यह सौदा विदेश सैन्य बिक्री (Foreign Military Sales Contract) के तहत हो रहा है। यह डील लंबे समय से लंबित थी और 31 अक्टूबर से पहले इसकी मंजूरी आवश्यक थी क्योंकि अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता तब तक थी। इस डील के तहत भारत को 31 प्रीडेटर ड्रोन मिलने हैं, जिसमें 15 भारतीय नौसेना के लिए, और शेष 8-8 ड्रोन वायुसेना और सेना के लिए होंगे।

प्रीडेटर ड्रोन: भारतीय रक्षा बलों के लिए एक नई ताकत

प्रीडेटर ड्रोन उच्च तकनीकी क्षमताओं से लैस हैं और इनका उपयोग निगरानी और हमला दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इन ड्रोनों की मदद से भारतीय रक्षा बलों की स्थिति में व्यापक सुधार होगा, खासकर भारतीय सागर क्षेत्र और सीमावर्ती क्षेत्रों में जहां निगरानी और सुरक्षा को और सख्त किया जा सकेगा।

यह डील चार साल के भीतर पूरी हो जाएगी और ड्रोनों की डिलीवरी डील पर हस्ताक्षर के चार साल बाद शुरू हो जाएगी। इसके बाद भारतीय नौसेना, वायुसेना और सेना के पास यह अत्याधुनिक ड्रोन होंगे जो उनकी निगरानी और सुरक्षा क्षमताओं में व्यापक बदलाव लाएंगे।

निजी क्षेत्र की बड़ी भागीदारी

इस डील में एक खास बात यह है कि इसके तहत निजी क्षेत्र की बड़ी भागीदारी होगी। विशेष रूप से लार्सन एंड टूब्रो जैसी कंपनियां परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इससे भारत की स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमताओं को और मजबूती मिलेगी और देश के आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।

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रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम

रक्षा क्षेत्र में यह कदम भारत के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला है। इसके माध्यम से भारतीय नौसेना और रक्षा बलों की ताकत कई गुना बढ़ेगी और यह देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन परमाणु पनडुब्बियों और प्रीडेटर ड्रोनों के आने से भारतीय रक्षा बलों की जल, थल और वायु सभी क्षेत्रों में सुरक्षा क्षमता में बढ़ोतरी होगी।

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